भोपाल । पीडब्ल्यूडी ने ओंकारेश्वर में वाहनों की आवाजाही के लिए 47 करोड़ रुपए में बनाए जा रहे पुल का ठेका निरस्त कर दिया है। नर्मदा नदी पर यह उच्चस्तरीय पुल आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतिमा तक लोगों के आवागमन की सुविधा के लिए बनाया जा रहा है। बंगाली बाबा आश्रम से मौनी बाबा आश्रम के बीच बनने वाले इस पुल से वाहन भी गुजर सकेंगे। अब विभाग नए सिरे से बचे हुए काम पूरे करने के लिए टेंडर बुलाएगा और फिर नई कंपनी को काम सौंपा जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि काम के दौरान ब्रिज की ऊंचाई बढ़ाने का फैसला लेना पड़ा और उसी को देखते हुए मौजूदा ठेकेदार से काम कराना संभव नहीं था। यही वजह रही कि ठेका निरस्त करना पड़ा। अब जो काम बचे हैं, उनकी लागत 29 करोड़ रुपए आंकी गई है, जिनके लिए नई एजेंसी तलाशी जाएगी। जिस एजेंसी का ठेका निरस्त किया गया है, उसे 2017 में इस काम का ठेका सौंपा गया था, लेकिन पहले स्थान तय न होने और अन्य आपत्तियों के कारण काम देरी से शुरू हुआ। ठेका निरस्त होने के साथ कंपनी ने ओंकारेश्वर से अपना सामान समेटना भी शुरू कर दिया है।  
आधिकारिक सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि निर्माणाधीन नए ब्रिज का उपयोग केवल आदि शंकराचार्य प्रतिमा स्थल तक आवाजाही के लिए हो सकेगा। कोई भी श्रद्धालु इस पुल से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने नहीं जा सकेगा। ओंकारेश्वर मंदिर जाने के लिए लोग वर्तमान व्यवस्था की तरह दो पैदल पुलों का उपयोग ही कर सकेंगे। उल्लेखनीय है कि ओंकारेश्वर में 100 फीट से ज्यादा ऊंचाई की आदि गुरू शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित की जा रही है। माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने ओंकारेश्वर में ही दीक्षा ली थी। राज्य सरकार की कोशिश है कि 2023-24 के दौरान इसे बनाकर तैयार कर लिया जाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों प्रतिमा का लोकार्पण कराया जाए।
ओंकारेश्वर में 400 मीटर लंबे ब्रिज के लिए 25-25 मीटर की दूरी पर 16 स्पान (पिलर) बनाए जाना हैं, जिनमें से अब तक आठ पिलर बन पाए हैं। यह पुल नदी से लगभग 55 फीट ऊंचाई पर बनेगा। बचा काम करने का ठेका जो एजेंसी लेगी, उसे अप्रैल-2024 तक ब्रिज बनाकर तैयार करना होगा। नए पुल को ओंकारेश्वर के बस स्टैंड से जोड़ा जाएगा, ताकि आदि शंकराचार्य की प्रतिमा देखने के इच्छुक लोग सीधे वाहनों से प्रतिमा स्थल तक आ-जा सकें। पुल से प्रतिमा स्थल की दूरी करीब डेढ़ किलोमीटर होगी।