नई दिल्ली । पूरे एक माह से पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर हैं। केंद्र सरकार के 21 मई को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसके बावजूद देश के कई राज्यों में पेट्रोल-डीजल की उपलब्धता को लेकर आशंकाएं बरकरार है। हालात पर काबू पाने के लिए सरकार के यूनिवर्सल सर्विस आब्लिगेशन (यूएसओ) का दायरा बढ़ाया है, पर वह भी कारगर नहीं हो रहा है। देश के कई राज्यों में पेट्रोल और डीजल की किल्लत बढ़ती जा रही है। पेट्रोलियम क्षेत्र के जानकारों का मानना है कि निजी क्षेत्र की कंपनियां जानबूझकर बिक्री नहीं कर रही है क्योंकि, उत्पाद शुल्क में कटौती की वजह से उन्हें पेट्रोल पर लगभग दस रुपए और डीजल पर बीस रुपए से भी ज्यादा प्रति लीटर का घाटा उठाना पड़ रहा है। निजी क्षेत्र की कंपनियां अपना नुकसान कम करने के लिए कम तेल बेच रही हैं। निजी कंपनियों के आउटलेट बंद होने से सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों पर दबाव बढ़ गया है। तेल कंपनियों के पेट्रोल पंप मालिकों को तेल देने की नीति में बदलाव से भी असर पड़ा है। बीपीसीएल ने डीलरों को उधार देना बंद कर दिया है। एंपावरिंग पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के सदस्य हेमंत सिरोही कहते हैं कि कंपनियों ने तेल की आपूर्ति कम कर दी है। वहीं, उधार के बजाए अब तेल कंपनियां नया स्टॉक लेने के लिए एडवांस मांग रही है। सिरोही बीपीसीएल के पेट्रोल पंप डीलर है। हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (एचपीसीएल) के आंकड़ो के मुताबिक अप्रैल-मई 2021 के मुकाबले इन दो माह में इस साल एचपीसीएल की पेट्रोल की बिक्री में 36.3 फीसदी की वृद्धि हुई है। वहीं, इस अवधि में निजी कंपनियों की पेट्रोल की बिक्री 1.6 प्रतिशत कम हुई है। वहीं, डीजल की बिक्री 26.9 फीसदी बढ़ी है जबकि निजी कंपनियों की डीजल की बिक्री 28.9 प्रतिशत घटी है। पेट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक जून 2022 के पहले पखवाड़े में पिछले वर्ष की इस अवधि की तुलना में मांग 50 फीसदी बढ़ी है।