प्राकृतिक खेती का चलन प‍िछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है. यही कारण है क‍ि सरकार की तरफ से भी इसके ल‍िए मदद की जा रही है. हिमाचल प्रदेश के कृषि विभाग ने साल 2023-24 में प्राकृतिक खेती के तहत अतिरिक्त 30,000 एकड़ भूमि को लाने का लक्ष्य रखा है. अधिकारियों की तरफ से इस बारे में जानकारी दी गई. राज्य में अभी 1.59 लाख किसान करीब 50,000 एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं.

कृषि सचिव राकेश कंवर ने ‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना’ के अधिकारियों को खरीफ सत्र से पहले प्राकृतिक खेती के तहत क्षेत्र विस्तार पर काम करने को कहा है. कंवर प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए अधिकारियों से खरीफ सत्र के लिए बाजरा उत्पादन योजना के साथ किसानों तक पहुंचने को कहा.

उन्होंने कहा इसके लिए समय पर सभी जरूरी इंतजाम किए जाएं. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को प्रशिक्षित कृषकों और नई किसानों की लगातार बातचीत आयोजित करनी चाहिए. इससे प्रशिक्षित किसान अपने अनुभव साझा कर सकेंगे. उन्होंने कहा कि ऐसे क्षेत्रों की पहचान की जानी चाहिए जहां लोग अपने दम पर प्राकृतिक खेती करने को तैयार हैं. ऐसे क्षेत्रों को प्राकृतिक गांव या पंचायत घोषित करने की रणनीति तैयार की जानी चाहिए.

प्राकृतिक खेती या नेचुरल फार्म‍िंग से पैदा हुई खाने-पीने की चीजों की बाजार में ड‍िमांड बढ़ रही है. प्राकृतिक खेती कृषि की प्राचीन पद्धति है. इस खेती में कीटनाशक का प्रयोग नहीं क‍िया जाता. इस प्रकार की खेती से भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है. इस प्रकार की जाने वाली खेती की सिंचाई अंतराल में भी वृद्धि होती है. रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से खेती की लागत कम आती है. बाजार में प्राकृतिक खेती की ड‍िमांड बढ़ने से प्रोडक्‍ट भी महंगे ब‍िक रहे हैं.