इंदौर ।  बच्चे और युवा संस्कारित होंगे तो समाज और देश स्वत: संस्कारित हो जाएगा। बच्चों के मानस में संस्कारों का बीजारोपण करने के लिए इंदौर के दो युवाओं ने बीड़ा उठाया और विदेश की बड़े पैकेज की नौकरी छोड़ बच्चों को संस्कारित करने अपने देश लौट आए। अब इंदौर में संस्कार शिविर के माध्यम से बच्चों को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ा रहे हैं। इन दिनों सात दिनी जैन संस्कार शिविर इंदौर के सन्मति स्कूल में आयोजित किया जा रहा है। इस शिविर में यूएस से आए दो भाई अपनी पत्नियों के साथ बच्चों को संस्कार की शिक्षा देकर चरित्र निर्माण कर रहे हैं। वे पिछले आठ साल से हर साल अप्रैल-मई में शिविर आयोजित करते हैं। अब तक इस शिविर के माध्यम से 4872 बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ाया जा चुका है। इनके ऊपर बच्चों के चरित्र निर्माण का ऐसा जुनून चढ़ा कि एक ने 84 लाख और दूसरा भाई और उनकी पत्नी एक करोड़ दो लाख रुपये सालाना का पैकेज छोड़कर भारत लौट आए।

जैन धर्म से परिचित कराने वाला साफ्टवेयर बनाया

यह शुरुआत पहले बड़े भाई प्रकाश और पूजा छाबड़ा ने की। इनसे प्रेरित होकर चार साल बाद छोटे भाई विकास और उनकी पत्नी सारिका भी लौट आए। बच्चों को शिक्षा देने से पहले उन्होंने स्वयं खुद की संस्कृति का अध्ययन किया और अन्य दर्शनों की शिक्षा ली। इसके बाद जैन धर्म से परिचित कराने वाला साफ्टवेयर बनाया। इनके संस्कार प्रदान करने के कार्य से अब 250 से अधिक लोग जुड़कर निश्शुल्क सहयोग दे रहे हैं। बच्चों को संस्कारित करने के लिए वे शहर-शहर जाकर स्थानीय लोगों के साथ मिलकर शिविर आयोजित करते हैं।

जैन दीक्षा लेना चाहता था

बिल गेट्स की कंपनी में न्यू इंवेंशन और रिसर्च टीम का हिस्सा रहे 48 वर्षीय साफ्टवेयर इंजीनियर प्रकाश छाबड़ा कहते हैं कि मैंने उज्जैन से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और जैन मंदिर में प्रवचन सुनने जाता था। उस समय मैं जैन दीक्षा लेकर संत बनना चाहता था, लेकिन घरवालों ने कहा कि पहले आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनो और जरूरतमंद की मदद करो। इसके बाद यूएस गया और माइक्रोसाफ्ट कार्पोरेशन में कार्य किया। उस समय मुझे सालाना पैकेज 84 लाख रुपये मिलता था। लेकिन मन में भाव था कि जो हमें मिला है उसे समाज को वापस लौटाया जाए। इसमें चार्टर्ड अकाउंटेंट पत्नी पूजा भी सहयोगी बनी।

धन के साथ सामाजिक दायित्व निभाना चाहिए

छोटे भाई विकास छाबड़ा ने कहा कि वे माइक्रोसाफ्ट कार्पोरेशन में 60 लाख के सालाना पैकेज पर कार्यरत थे, जबकि पत्नी सारिका जैन साफ्टवेयर इंजीनियर का सालना पैकेज 42 लाख था। उन्होंने कहा कि धन की आवश्यकता एक समय तक होती है उसके बाद सामाजिक दायित्व का पालन भी आवश्यक है। बड़े भैया यूएस में भी बच्चों को शिक्षित करते थे। यहां हम बच्चों को अच्छे व्यवहार, पाप-पुण्य, पूजन पद्धति के वैज्ञानिक महत्व की जानकारी देते हैं।