पटना । नागरिकता संशोधन कानून सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (सीएए) फिर से चर्चा में आ गया है। जिसके पीछे की वजह गृह मंत्री अमित शाह का ताजा बयान है। शाह दो दिन के बंगाल दौरे पर हैं, तभी उन्होंने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोना खत्म होने के बाद सीएए को लागू किया जाएगा। शाह के बयान के बाद राजनीतिक प्रतिक्रियाओं का दौर जारी हो गया। एक तरफ जहां इस लेकर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने लोगों को मूर्ख न बनाने की बात कही। वहीं अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से भी सीएए को लेकर प्रतिक्रिया आई है। शाह के बयान पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने टिप्पणी की है। 
नीतीश ने कहा कि अभी कोविड फिर से बढ़ रहा है, हमारी ज्यादा चिंता कोविड से लोगों की रक्षा करने की है। कोई पॉलिसी की बात होगी, तब उसे अलग से देखने वाले हैं, अभी बाकी चीजों को हमने देखा नहीं है। कई राज्यों में बिजली संकट के सवाल पर नीतीश कुमार ने कहा कि हम लोग संकट की स्थिति में भी जो संभव है, वहां काम करने की कोशिश करते हैं। संकट कोई एक जगह तो होता नहीं है, अनेक जगह पर होता है। उन सब चीजों का ध्यान रखने और हर संभव प्रयास करने की कोशिश करते हैं।
दरअसल शाह ने सिलीगुड़ी में कहा था कि राज्य की शरणार्थी आबादी तक पहुंच बनाने के प्रयास के तहत आश्वासन दिया कि कोविड-19 महामारी समाप्त होने के बाद संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) लागू किया जाएगा। 
टीएमसी प्रमुख ममता ने शाह के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मतदान का अधिकार रखने वाला हर व्यक्ति देश का नागारिक है। भाजपा को जनता को बेवकूफ बनाने के लिए इसका (सीएए) इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए। नहीं वे (शरणार्थी जो भारतीय नागरिक हैं) अपना मताधिकार कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं, और वह गृह मंत्री कैसे बने? उन्हें झूठ बोलने की आदत है।’ शाह के दावे पर प्रतिक्रिया जताते हुए बनर्जी ने सीएए और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के विरोध को दोहराया और कहा कि नागरिकता का मुद्दा जनता को बेवकूफ बनाने की चाल है।