छत्तीसगढ़| छत्तीसगढ़ विधानसभा में सोमवार को बजट सत्र की कार्यवाही हंमामेदार रही। कार्यवाही शुरू होते ही पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने प्रश्नकाल में अपनी ही सरकार को घेरा। कोंडागांव में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग में जिला निर्माण समिति के तहत कराए गए कार्यों में डीएमएफ फंड के बंटवारे में बंदरबांट का आरोप लगाया। सवाल करते हुए पूछा कि जब आरईएस निर्माण एजेंसी है, तो कब से सरकार में सप्लाई का काम करने लगी। 

छत्तीसगढ़ विधानसभा में सोमवार को बजट सत्र की कार्यवाही हंमामेदार रही। कार्यवाही शुरू होते ही पीसीसी चीफ मोहन मरकाम ने प्रश्नकाल में अपनी ही सरकार को घेरा। कोंडागांव में ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग में जिला निर्माण समिति के तहत कराए गए कार्यों में डीएमएफ फंड के बंटवारे में बंदरबांट का आरोप लगाया। सवाल करते हुए पूछा कि जब आरईएस निर्माण एजेंसी है, तो कब से सरकार में सप्लाई का काम करने लगी। 

मरकाम ने कहा कि 7 करोड़ रुपये डीएमएफ के पैसे का बंदरबांट हुआ है। एक ही अधिकारी कई विभागों के पदों पर डटे हुए हैं। मामले में विधानसभा की समिति से जांच कराने की मांग की। इस पर नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदले ने भी सदन की कमेटी से जांच की मांग की। मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि आपने गंभीर मामले को उठाया है। इस केस में स्टेट लेवल के अधिकारी से एक महीने में जांच कराने और इसके बाद दोषियों पर कार्रवाई की घोषणा की।

7 करोड़ का बंदरबांट

पीसीसी चीफ ने कहा कि 7 करोड़ का बंदरबांट हुआ है। क्या अधिकारी पर कार्रवाई होगी? विधानसभा की कमेटी से जांच कराएंगे क्या? इस पर मंत्री ने कहा कि कलेक्टर किसी को भी नोडल अधिकारी बना सकते हैं। राज्य स्तर के अधिकारी को भेजकर जांच कराई जाएगी। एक महीने के अंदर जांच रिपोर्ट आने पर दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

विपक्ष ने भी उठाया सवाल

बीजेपी विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश में 50 फीसदी से ज्यादा डीएमएम की राशि का बंदरबांट हुआ। पहले भी डीएमएफ की राशि में गड़बड़ी का मामला उठ चुका है। जांच कराना जरूरी है।