सरकार किसी व्यक्ति की आय के स्रोत पर की गई कर कटौती (TDS) को उसके भुगतान के लिए स्रोत पर कर संग्रह (TCS) से संबद्ध करने की कवायद में जुटी है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी है. आम तौर पर टीसीएस किसी विक्रेता की तरफ से सामान या सेवा की बिक्री के समय वसूला जाने वाला कर होता है. वहीं, टीडीएस सरकार की तरफ से लगाया जाने वाला कर है.

20 प्रतिशत लागू होने की 

टीसीएस को टीडीएस के साथ संबद्ध करने के पीछे यह सोच है कि व्यक्तिगत करदाताओं के नकद प्रवाह पर कोई असर न पड़े. सरकार की यह कोशिश ऐसे समय सामने आई है जब विदेशों में एक खास सीमा से अधिक खर्च पर एक जुलाई से 20 प्रतिशत टीसीएस की व्यवस्था लागू होने जा रही है.

आर्थिक सलाहकार ने दी जानकारी

मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEO) अनंत नागेश्वरन ने कहा है कि सरकार ने सात लाख रुपये तक के लेनदेन को टीसीएस से बाहर रखा है जिससे छोटे करदाताओं को राहत मिलेगी. इसका मतलब है कि ज्यादातर लेनदेन 20 प्रतिशत टीसीएस के दायरे में नहीं आएंगे.

TDS के रूप में आएंगे नजर

नागेश्वरन ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा है कि सरकार आपके टीडीएस को टीसीएस से इस तरह जोड़ने की कोशिश में है कि अगर आपने टीसीएस दिया है तो वह कम टीडीएस के रूप में नजर आए. इस पूरी कवायद का मकसद यह है कि आपके नकद प्रवाह को कोई असर न पड़े. 

नई व्यवस्था से मिलेगी राहत

उन्होंने बृहस्पतिवार को उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम में कहा कि टीसीएस और टीडीएस के बीच कोई मेल न होने से परेशान होने वाले करदाताओं को नई व्यवस्था से राहत मिलेगी.