साल में होने वाले सभी 24 प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित बताए गए हैं. जैसे साल में 12 प्रदोष व्रत कृष्ण पक्ष में आते हैं तो वहीं 12 प्रदोष व्रतों का आगमन शुक्ल पक्ष में होता है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा आराधना, मंत्रो का जाप, स्तोत्र आदि का पाठ करना बेहद चमत्कारी और लाभकारी बताया गया है. इस दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करने का महत्व बताया गया है. प्रदोष काल तीसरे पहर में सूर्यास्त के समय आता है साथ ही यह समय पितरों के लिए भी खास होता है.

पितृ दोष की शांति के लिए प्रदोष व्रत के दिन क्या उपाय करने चाहिए कि पितरों को समर्पित पितृपक्ष भगवान शिव के अधिपत्य में आते हैं. उस समय विष्णु भगवान क्षीर सागर में आराम करते हैं और पूरे ब्रह्मांड का संचार भगवान शिव करते हैं. पितरों को मोक्ष देने के लिए कृष्ण पक्ष की प्रदोष तिथि का बहुत अधिक महत्व बताया गया है. यदि प्रदोष व्रत शनिवार के दिन हो तो उसका जातकों को कई गुना लाभ होता है. साल 2025 में ज्येष्ठ मास कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 24 मई शनिवार को होगा. इस दिन अपने पितरों के निमित्त कोई भी धार्मिक अनुष्ठान, तर्पण, पिंडदान, हवन, यज्ञ या पितरों की पूजा करने पर उसका संपूर्ण से अधिक लाभ मिलता है.

वह आगे बताते हैं कि ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत शनिवार को होगा और इस दिन प्रदोष काल के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दिया जलाने, भगवान शिव का गंगाजल, काले तिल, दूध, दही, शहद आदि से अभिषेक करने, भगवान शिव के एकाक्षरी मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करने और रुद्राष्टक, पशुपत्येष्टक, शिव महिम्न, शिव तांडव आदि स्तोत्र का पाठ करने पर पितृ दोष से शांति मिल जाती है. सूर्यास्त से 45 मिनट पहले और सूर्यास्त के 45 मिनट के बाद वाला समय प्रदोष काल होता है.