सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून को लेकर बहस जारी, केंद्र ने कहा– याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते
नई दिल्ली: वक्फ एक्ट में संशोधन के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट लगातार दूसरे दिन (बुधवार) सुनवाई कर रहा है। दूसरे दिन केंद्र सरकार ने वक्फ एक्ट पर अपना पक्ष रखा है। केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कानूनी पक्ष मजबूती से रखा है। एसजी तुषार मेहता ने कहा कि वक्फ एक्ट में संशोधन के लिए हमने 97 लाख लोगों से राय ली है। याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। 1923 के वक्फ एक्ट से लेकर 1995 तक यह व्यवस्था थी कि सिर्फ मुस्लिम ही वक्फ कर सकते थे। 2013 में चुनाव से पहले कानून बना दिया गया कि कोई भी वक्फ कर सकता है। एसजी ने कहा कि 25 वक्फ बोर्डों से राय ली गई, जिनमें से कई ने व्यक्तिगत रूप से आकर अपनी बात रखी। इसके अलावा राज्य सरकारों से भी सलाह-मशविरा किया गया। तुषार मेहता ने कहा कि संशोधन के हर खंड पर विस्तार से चर्चा की गई। कुछ सुझाव स्वीकार किए गए, जबकि कुछ नहीं। सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने सवाल उठाया कि उनका तर्क यह है कि इस मामले में सरकार अपना दावा खुद तय करेगी?
इस पर एसजी मेहता ने कहा, यह सही है कि सरकार अपना दावा खुद पुष्ट नहीं कर सकती। शुरुआती बिल में कहा गया था कि कलेक्टर फैसला करेंगे। आपत्ति यह थी कि कलेक्टर अपने मामले में जज होंगे। इसलिए जेपीसी ने सुझाव दिया कि कलेक्टर के अलावा किसी और को नामित अधिकारी बनाया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि राजस्व अधिकारी सिर्फ रिकॉर्ड के लिए फैसले लेते हैं, टाइटल का अंतिम निर्धारण नहीं करते। एसजी मेहता ने कहा, सरकार सभी नागरिकों के ट्रस्टी के तौर पर जमीन रखती है।
वक्फ उपयोग पर आधारित है- यानी जमीन किसी और की है, लेकिन इस्तेमाल करने वाला लंबे समय से इसका इस्तेमाल कर रहा है। ऐसे में जरूरी है कि यह या तो निजी संपत्ति है या सरकारी। अगर कोई इमारत सरकारी जमीन पर है, तो क्या सरकार यह जांच नहीं कर सकती कि संपत्ति उसकी है या नहीं? धारा 3(सी) के तहत भी यही प्रावधान किया गया है।
आपको बता दें कि इस मामले में मंगलवार को भी सुनवाई हुई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और राजीव धवन ने दलीलें रखीं। आज एसजी तुषार मेहता ने केंद्र का पक्ष रखते हुए कहा कि 1923 से 1995 के कानून में यह प्रावधान था कि सिर्फ मुसलमान ही वक्फ कर सकते हैं, लेकिन साल 2013 में चुनाव से पहले कानून बना दिया गया कि कोई भी वक्फ कर सकता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसमें सुधार किया है और वक्फ करने के लिए कम से कम 5 साल तक इस्लाम का पालन करने की शर्त रखी गई है।
एसजी तुषार मेहता ने कहा, 'अगर कोई किसी जगह का इस्तेमाल कर रहा है, उसके पास उस जगह के कागज़ात नहीं हैं और वह दावा करता है कि यह उपयोगकर्ता द्वारा अपंजीकृत वक्फ है। अगर सरकारी रिकॉर्ड में संपत्ति सरकारी संपत्ति है, तो क्या इसकी जांच नहीं की जाएगी? याचिकाकर्ताओं ने कल सुनवाई में संपत्ति के पंजीकरण पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि 100-200 साल पुराने वक्फ के कागजात कहां से आएंगे।
चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई के सवाल
एसजी तुषार मेहता की दलील पर चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने कहा कि लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना है कि सरकार खुद अपने दावे की जांच करेगी। तुषार मेहता ने कहा, 'राजस्व अधिकारी भूमि राजस्व रिकॉर्ड की जांच करेगा। वह कोई अंतिम स्वामित्व तय नहीं करेगा। प्रभावित पक्ष के पास कोर्ट जाने का विकल्प है।
केंद्र सरकार का जवाब
एसजी मेहता ने कहा कि कलेक्टर की जांच से लोगों को परेशानी थी, इसलिए दूसरे अधिकारी को नियुक्त किया गया। वह सिर्फ राजस्व रिकॉर्ड की जांच करेगा और संशोधन करेगा। सीजेआई ने एसजी से पूछा कि इसका मतलब है कि सिर्फ कागजों पर प्रविष्टियां होंगी। सीजेआई गवई के सवाल पर तुषार मेहता ने कहा, 'हां, अगर सरकार स्वामित्व चाहती है तो वह सिविल केस भी दायर करेगी।