समाज की मोहरबंद परंपराओं से विद्रोह करता कहानी संग्रह "मोहरबंद" 
परंपरागत रूढ़िवादिता और दकियानूसी मानसिकता पर कहानी संग्रह "मोहरबंद" करारा प्रहार करता है। नारी जीवन में व्याप्त विसंगतियों, व्यथा, वेदना को मार्मिक शैली में व्यक्त किया है।
निरंतर परिवर्तन के नैसर्गिक उपक्रम का निर्वहन करते हुए देश काल और परिस्थिति के अनुरूप परिवर्तन की आवश्यकता को प्रतिपादित करने में अपनी कहानियों के माध्यम से श्रुति पंवार कामयाब रही है ।
लेखिका  ने शोषण मुक्त समाज,महिला शिक्षा, स्वावलंबन जैसे गंभीर सामाजिक सरोकार रखने वाले कथानक को अपनी कहानी का आधार बनाया है। सभी कहानियां मानवीय संवेदनाओं को झकझोरती है। सशक्त संवाद कहानियों की निरंतरता के साथ ही उन्हें सुरुचि पूर्ण बनाए रखने में कामयाब रहे हैं।
लेखिका ने अपनी कहानियों के माध्यम से नेताओं, पत्रकारों, शिक्षकों, महिलाओं और अन्य संस्थाओं को स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है ।भ्रूण हत्या, बाल विवाह ,नारी उत्पीड़न, आदिवासी अंचल में महिलाओं की दुर्दशा, महिलाओं के संघर्ष और उनकी सफलता की कहानी को प्रमुखता से व्यक्त किया गया है। समाज की नजरों में मोहरबंद औरत के संघर्ष दृढ़ निश्चय और सफलता के सार्थक संदेश को लेखिका ने समाज के सामने रखा है। अधिकांश कहानियां नारी अस्मिता और नारी संघर्ष की दास्तान बयान करती है। तमाम विसंगतियों, विरोध के बावजूद कहानीकार ने अंततः नारी विजय का सार्थक संदेश दिया है।
कहानी संग्रह का उद्देश्य सामाजिक विसंगतियों एवं उसके निदान के लिए जनसामान्य को जागरूक करना है। इक्कीसवीं सदी के वर्तमान दौर में भी कन्या जन्म पर महिला को प्रताड़ना दी जाती है। महिलाओं को जवाबदार करार दे दिया जाता है। भ्रूण हत्या, दहेज लिप्सा, बलात्कार आदि सामाजिक विद्रूपता कहानी के कथानक में शामिल हैं। भूत प्रेत चुड़ैल जैसी दकियानूसी सोच आज भी गांव में विद्यमान है। कथा संग्रह इस मानसिक बीमारी पर भी करारा प्रहार करने में सफल साबित हुआ है।
बाल विवाह, बाल श्रम, भी कहानी के कथानक बने हैं। समाज कल्याण के लिए पढ़ी-लिखी पीढ़ी को आगे आना होगा।
आरंभ, आवाज़, गुनाह,  क्षमा, घुटन, फर्ज, विफलताएं, परिणाम, सारांश, आदर्श, वक़्त, आदि कहानियां कहानीकार की प्रतिनिधि सार्थक संदेश देती हुई बेहतरीन कहानियां है।
आदिवासी अंचल में अपना आरंभिक समय व्यतीत करने वाली श्रुति पवार की कहानियों में भी आंचलिक परिवेश और संस्कृति की स्पष्ट छाप नजर आती है। आंचलिक शब्दों का भी सहज सरल संयोजन मिलता है।
कुल मिलाकर कहानी संग्रह "मोहरबंद" पाठकों में पढ़ने की जिज्ञासा जगाने में कामयाब रहा है। समाज को नई दिशा दिखाने के प्रयास में श्रुति पंवार सफल रही है। 
                                                                                                                                          समीक्षक - रमेश चंद्र शर्मा
                                                                                                                                                     16 कृष्णा नगर- इंदौर

 पुस्तक - मोहरबंद 

लेखिका - श्रुति पंवार 

मूल्य - 300 रु .

प्रकाशक -संस्मय प्रकाशन दिल्ली