ढाका । मॉनसूनी तूफान और लगातार हो रही बारिश ने पूरे बांग्लादेश को चपेट में ले लिया है। बाढ़ की वजह से अब तक 32 लोगों की मौत हो चुकी है। करीब 90 लाख लोग घरों में पानी घुसने और सामान नष्ट होने की वजह से बेघर हो गए हैं। बांग्लादेश की सेना स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर जगह जगह फंसे हुए लोगों को निकालने और राहत कार्य में जुटी हुई है। पिछले हफ्ते, बांग्लादेश और भारत के उत्तरपूर्वी राज्यों ने निरंतर हो रही बारिश की वजह से कई हिस्सों में बाढ़ के हालात बन गए हैं। बाढ़ जनित हादसों में अब तक 81 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।  
आपदा प्रबंधन और राहत कार्य राज्य मंत्री इनामुर रहमान का कहना है कि मेघालय और असम में हुई भारी बारिश के चलते बांग्लादेश में भीषण बाढ़ के हालात बन गए हैं। उनका कहना था कि सिल्हट और सुनामगंज के जिलों में यह 122 साल की सबसे भीषण बाढ़ है। सिल्हट के हालात बहुत भयानक हो गए हैं, वहां बिजली गिरने से 9 लोगों की मौत हो गई है। इसके साथ कुल मिलाकर बांग्लादेश में बिजली गिरने से कुल 21 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 
सिल्हट, सुनामगंज, ब्रह्मनबाड़िया और बांग्लादेश के उत्तरी हिस्से को भयानक बाढ़ का सामना करना पड़ा है। बाढ़ की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसकी वजह से सिल्हट और सुनामगंज जिले बाकी देश से कट कर अलग थलग दिखाई पड़ रहे हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए सिल्हट रेल्वे स्टेशन और इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सभी तरह के संचालन को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। संचार सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं  और सिल्हट में स्थानीय प्रशासन को हालात संभालने में बहुत मुश्किले आ रही हैं।
मेघालय के पहाड़ी इलाकों से नीचे जाते पानी ने हालात को बदतर बना दिया है। सिल्हट के करीब 3 लाख लोगों को आश्रयस्थलों में शरण लेने पर मजबूर होना पड़ा। पिछले शनिवार बाढ़ की गंभीरता के चलते स्वास्थ्य विभाग का एक दल सिल्हट जाने में नाकाम रहा और उन्हें मजबूरन ढाका लौटना पड़ा। सरकार का कहना है कि देश के दस जिलों के 64 उपमंडल बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। बांग्लादेश के बाढ़ पूर्वानुमान और चेतावनी केंद्र (एफएफडब्ल्यूसी) ने बताया कि सुनामगंज और सिल्हट में अगले 24 घंटों तक स्थिति में किसी तरह का कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है। इसके साथ ही उत्तरी और उत्तर पूर्वी इलाकों में मध्यम से भारी बारिश का अनुमान भी जताया गया है।
पिछले हफ्ते सुनामगंज में लोगों के घरों में पानी घुस जाने की वजह से उन्हें घरों की छतों पर शरण लेनी पड़ी और बाद में उन्हें बोट की मदद से बचाया गया। लोगों को आपातकालीन चिकित्सा सेवा मुहैया कराई जा रही है क्योंकि यहां के जिला अस्पताल बाढ़ में डूब चुके हैं। वहीं जल जमाव की वजह से लोगों को पीने के पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है, इसके साथ ही तीन दिन से लोगों को खाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है। अस्पताल, अग्निशमन सेवा, खाद्य गोदाम से लेकर आपातकालीन सेवा तक ज्यादातर संस्थान पानी में डूब चुके हैं। मोबाइल और इंटरनेट सेवा भी तेज बारिश की वजह से बंद पड़ी है। 
बोगुरा, जमालपुर, गैबंधा और लालमोनिरहाट में भी लगातार होती बारिश की वजह से खाने की किल्लत हो गई है। करीब 1 करोड़ 60 लाख से ज्यादा बच्चों का भविष्य बाढ़ की तबाही की वजह से अधर में लटक गया है। बच्चों को खाने, साफ पानी और दवा की ज़रूरत है। बांग्लादेश की सेना यूनिसेफ के साथ मिलकर आपदाग्रस्त इलाकों में पहुंची है, ताकि लोगों को ज़रूरी मदद मुहैया करवाई जा सके।