मानव मूल्यों पर आधारित हैं श्री गट्टानी के व्यंग्य : डॉ.विकास दवे
एक_पाव_सच_ का लोकार्पण
हिन्दी ही नहीं संस्कृत के साहित्य में भी व्यंग्य सृजित हुआ है : डॉ.आचार्य
भोपाल निवासी वरिष्ठ व्यंग्य कवि श्री राजेन्द्र गट्टानी की व्यंग्य कविताओं के संग्रह "एक पाव सच" का दुष्यंत संग्रहालय भोपाल में लोकर्पण संपन्न हुआ ।
मध्यप्रदेश लेखक संघ के अध्यक्ष डॉ. रामवल्लभ आचार्य की अध्यक्षता, साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ.विकास दवे के मुख्य आतिथ्य, ख्यातिलब्ध व्यंग्य कवि श्री गोविन्द राठी एवं लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के प्रमुख अभियंता श्री के के सोनगरिया के विशेष आतिथ्य में कवि श्री गोकुल सोनी ने कृति समीक्षा की और संचालन किया श्री धर्मेन्द्र सोलंकी ने ।
इस अवसर पर अपने उद्बोधन में डॉ रामवल्लभ आचार्य में हिन्दी और संस्कृत साहित्य में व्यंग्य को उद्धृत करते हुए श्री गट्टानी को कबीर की परंपरा का कवि बताया ।
मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग अंतर्गत साहित्य अकादमी के निदेशक डा. विकास दवे ने कहा कि केवल विसंगतियों और विद्रूपताओं पर कटाक्ष कर देने से व्यंग्य की पूर्णता नहीं होती, व्यंग्य में मानवीय मूल्यों को भी इंगित किया जाना चाहिए जो गट्टानी जी की प्रायः हर रचना में विद्यमान है । विशिष्ट अतिथि कवि गोविन्द राठी ने अपने चुटीले अंदाज़ में व्यंग्य की व्याख्या की, आज की मंचीय स्थिति पर दुःख भी व्यक्त किया और अपनी एक सार्थक व्यंग्य रचना भी सुनाई । श्री सोनगरिया ने गट्टानी जी से अपनी गहरी मित्रता का उल्लेख करते हुए कहा कि मुझे तो इनकी भाषा शैली में ही हास्य व्यंग्य का आभास होता है । कृति समीक्षक गोकुल सोनी ने कहा कि व्यंग्य धारदार,पैना और कभी कभी हिंसक भी होता है, द्रोपदी के एक व्यंग्य ने महाभारत जैसा युद्ध करा दिया । लेकिन एक व्यंग्यकार सज्जन,सौम्य और अहिंसक होता है और आश्चर्य की बात यह है कि ये दोनों साथ साथ चलते हैं ।श्री गट्टानी की रचनाएँ जहां हंसाती, गुदगुदाती हैं वहीं आत्मचिंतन को भी प्रेरित करती हैं । इस अवसर पर कृतिकार श्री राजेन्द्र गट्टानी ने लोकार्पित काव्य संग्रह से कुछ चुनिंदा हास्य व्यंग्य रचनाओं को सुनाकर खूब तालियां बटोरीं । उनकी शीर्षक रचना "एक पाव सच" के अंश _
*किसी शव यात्रा में राम नाम सत्य करने के लिए एक पाव सच ले गया था*
*और उसमें से भी बचाकर वापस दे गया था*
*तुम ही रख लो, हम इसका क्या करेंगे*
*फिर ले जाएंगे जब कोई और मरेंगे* ने तो सच की स्थिति को बयान करते हुए ऐसा झकझोरा कि पूरा सभागार वाह करते हुए तालियों से गूंज उठा ।
मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण से प्रारंभ हुए समारोह में इंदौर की कवयित्री पूजा कृष्णा ने सरस्वती वंदना की । स्वागत भाषण वरिष्ठ कवि ऋषि श्रंगारी ने दिया और आभार व्यक्त किया श्री राजुरकर राज ने । ऋषि मुनि प्रकाशन उज्जैन से प्रकाशित इस पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में प्रकाशक श्री पुष्कर जी बाहेती विशेष रूप से उपस्थित रहे और अतिथियों का स्वागत और स्मृति चिन्ह प्रदान करने वालों में श्री पुष्कर जी के साथ ही माहेश्वरी समाज भोपाल के सक्रिय सदस्यगण वैद्यराज रमेश जी माहेश्वरी, त्रिलोक जी जाजू, ओमप्रकाश जी काबरा, संजय जी झंवर, रामकुमार जी राठी, आनंद जी सिंगी, संजय काबरा, सतीश घुरका, सुरेश जी लाहोटी सहित गट्टानी जी की धर्मपत्नी रेणु जी, बेटी दामाद रुचि एवम् राहुल जाजू, बेटा बहू रजत एवं मनाली सहित परिवार के सदस्य सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार और समाजबंधु सम्मिलित हुए ।