भोपाल/ प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था प्रभात साहित्य परिषद द्वारा श्री राम किशोर रवि की प्रथम कृति "नव विहान" गीतिका संग्रह के लोकार्पण का आयोजन दुष्यंत संग्रहालय के सभागार में श्री मुकेश वर्मा की अध्यक्षता ,प्रोफ़ेसर सुरेंद्र बिहारी गोस्वामी के मुख्य आतिथ्य, श्री बलराम गुमास्ता के विशेष आतिथ्य, एवं सुश्री कांति शुक्ला "उर्मि "के सारस्वत आतिथ्य में तथा रमेश नन्द के संचालन में किया गया।
सरस्वती वंदना के उपरांत श्री राम किशोर रवि ने कृति "नव विहान" के संबंध में अपनी बात रख कर तीन गीतिकाओं का पाठ किया!" न अपने हृदय में असत को बसाना, सदा दीप सत के जगत में जलाना ।रूठ कर जो गए मनाओ तो, घर उन्हें प्यार से बुलाओ तो। माता-पिता है पूज्य सब के जन्म के आधार हैं, सेवा करें सम्मान दें वे ईश सम साकार हैं"। वही श्री मुकेश वर्मा ने कृति पर चर्चा करते हुए कहा, मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा और संस्कृति के मूल तत्व को कवि ने अपने सामाजिक सरोकारों में निबद्ध कर कविता को समयानुकूल गति दी है ,और छंद की मधुरता व भाषा के वैभव में अभिवृद्धि की है। वही श्री बलराम गुमास्ता ने कहा ,श्री राम किशोर रवि के गीतिका संग्रह "नव विहान "की गीतिकाएं अपनी बनावट में तो वर्णिक छंद से अलंकृत हैं ,पर इन रचनाओं का इतिवृत्त अपने सरोकार में समूचे समकाल को समेटे हुए हैं। जिसमें आम जनजीवन की विभिन्न चिंताएं, मनोगतियां ,समसामयिक सामाजिक विमर्श, प्रकृति पर्यावरण प्रेम, और जीवन अनुभव से अर्जित सच की अभिव्यक्ति, व्यक्ति से समष्टि के विस्तार और द्वंद की सहज रचनात्मकता, अभिव्यक्ति इन गीतिकाओँ को समकालीन बना देती हैं।
वही श्री शैलेंद्र शैली ने कहा _रामकिशोर रवि का यह गीतिका संग्रह बहुआयामी है, जिसमें जीवन और अपने समय को विभिन्न कोणों से देखने और समझने की भोली-भाली कोशिश की है ।शिल्प के प्रति अति आग्रह आश्चर्यजनक है।
वही श्री घनश्याम अमृत ने कहा _ रामकिशोर रवि की सद्य प्रकाशित कृति "नव विहान "राष्ट्रीय भावना भारतीय संस्कार और संस्कृति से पगी छांदसिक अनुशासन और शिल्प में बंधी विशिष्ट गीत रचनाएं हैं।वहीं श्री मनोज "मधुर "ने कहा श्री राम किशोर रवि का कवि मन अनेक रूपों में खुलता चला जाता है।नव विहान संग्रह में कवि कभी कबीर की तरह सचेतक ,भूमिका का सम्यक निर्वहन  करते है तो कहीं रहीम की तरह नीति संगत तर्क सम्मत बात कहते हैं।

जिज्ञासा प्रकाशन गाजियाबाद से पधारे विशेष अतिथि श्री मित्रपाल सिंह सिसोदिया जी ने कृति "नव विहान "  के प्रकाशन के  सम्बंध में चर्चा की और भोपाल के कवियों में से श्री राजेंद्र शर्मा अक्षर,श्री महेश प्रसाद सिंह ,डॉ अनिल शर्मा "मयंक ",श्री अशोक निर्मल, श्री चंद्रभान "राही" ,श्री हीरालाल पारस, श्री प्रदीप कश्यप ,श्री गोपेश वाजपेई, श्रीमती सुनीता शर्मा "सिद्धि " एवम कुसुम श्रीवास्तव को जिज्ञासा प्रकाशन की ओर से सम्मानित किया।
अंत में सभी का औपचारिक आभार  डॉ. अनिल शर्मा "मयंक "ने व्यक्त किया।