ओम्कारेश्वर  आचार्य शंकर की ज्ञान स्थली जहां अद्वैत दर्शन की मिलेगी शिक्षा-स्वामी वेदात्वानंद

ओमकारेश्वर। मध्य प्रदेश सरकार ओंकारेश्वर में अद्वैत वेदांत भारत की वैचारिक और दार्शनिक धरोहर की स्थापना करने जा रही है। ओमकारेश्वर में मांधाता पर्वत पर आदि गुरु शंकराचार्य की 108 फीट ऊंची प्रतिमा की स्थापना मध्यप्रदेश के भविष्य का निर्माण है। सदियों से ओम्कारेश्वर अद्वैत वेदांत का प्रतिष्ठित शिक्षा केंद्र रहा है। यहां मात्र 8 वर्ष की उम्र में शंकर आए थे और अब उन्ही  शंकराचार्य का स्टेच्यू अद्वैत भाव के जागरण का वैश्विक केंद्र बनेगी।
यह बात मध्य प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने ओमकारेश्वर में आए स्टेट प्रेस क्लब के 100 से अधिक पत्रकारों को संबोधित करते हुए कही।  रविवार को स्टेट प्रेस क्लब का एक दल अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल के नेतृत्व में ओमकारेश्वर पंहुचा। इस अवसर पर संस्कृति विभाग उपसंचालक शैलेंद्र मिश्रा, एसडीएम चंद्र सिंह सोलंकी, जनसंपर्क विभाग प्रभारी कुमार सानू देवरिया, नगर पंचायत ओंकारेश्वर सीएमओ मोनिका पारदी मौजूद रहे। कार्यक्रम के विशेष अतिथि के रूप में विजय मनोहर तिवारी ने संबोधित करते हुए कहा कि एकात्मक धाम ओमकारेश्वर से लेकर महाकाल लोक उज्जैन और उनके बीच प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इंदौर का यह भूभाग भविष्य के मध्य प्रदेश की एक नई इबारत लिखेगा। देवी अहिल्याबाई होल्कर की राजधानी महेश्वर भी इस पर्यटन सर्किट में शामिल है। सनातन परंपरा के करोड़ों श्रद्धालुओं के अलावा आधुनिक शिक्षा में ढले युवा साथियों से लेकर विश्वभर से ज्ञान और शांति की खोज में आने वाले शोधार्थियों के लिए ओमकारेश्वर भारत का सबसे नया निमंत्रण होगा। इस प्रोजेक्ट में भारत की प्राचीन स्थापत्य शैली और टिकाऊ तकनीक तथा परंपरागत निर्माण सामग्री का उपयोग अनिवार्य किया गया है। यह केवल सीमेंट कंक्रीट का जंगल नहीं बन रहा, यह अद्वैत के लोकव्यापीकरण का एक वैश्विक केंद्र बनकर उभरेगा।  श्री तिवारी ने कहा कि यहां जो एकात्मतावाद के नए धाम की स्थापना हो रही है। उसे युगो युगो तक याद किया जाएगा और अद्वैत दर्शन होगा।


 इस अवसर पर स्वामी वेदात्वानंद ने आगंतुक पत्रकारों को संपूर्ण एकात्मधाम की आधारशिला को प्रोजेक्टर के माध्यम से समझाते हुए कहा कि ओमकारेश्वर आचार्य शंकर की ज्ञान स्थली है यह वही स्थान है जहां से अद्वैत दर्शन की शिक्षा प्राप्त करके उनके जीवन की महायात्रा आरंभ हुई। मूल रूप से उसी अद्वैत दर्शन के लोकव्यापी की दिशा में एकात्माधाम को वैश्विक स्तर पर एक विराट धुरी के रूप में स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस अर्थ में यह केवल आध्यात्मिक या धार्मिक पर्यटन का ही केंद्र नहीं होगा अपितु वह अपनी पुरानी ज्ञान परंपरा के स्वरूप में संसार भर के जिज्ञासु को उसी प्रकार अपनी और आमंत्रित करेगा जैसे कभी आचार्य शंकर केरल से 8 साल की उम्र में पढ़ने के लिए यहां आए थे । उन्होंने कहा कि ओमकारेश्वर में आचार्य शंकर के बाल रूप की 108 फुट ऊंची मूर्ति तो सबसे बड़ा और सबसे दूर से दिखाई देने वाला आकर्षण होगा ही लेकिन इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर के अद्वैत वेदांत संस्थान की स्थापना ओमकारेश्वर  की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है।यह लगभग 125 हेक्टेयर क्षेत्र में होगा। जिसमें 36 हेक्टेयर का अद्वैत वन सघन हरियाली के लिए आरक्षित है। उन्होंने बताया कि अद्वैत वेदांत संस्थान के विशाल परिसर में 7 केंद्र बनेंगे जो भारत भर के वास्तु और स्थापत्य कला के ऊपर आधारित होंगे। इस विशाल परिसर में आकर पूरे भारत की आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव होगा।
 इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार भुवनेश सिंगर ने भी संबोधित किया और कहा कि इस धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल के अलावा मां नर्मदा का पावन तट सभी के मन को और तन को निर्मल करने वाला है। यह भूमि ऐसी है जहां पर हर कोई आना चाहेगा सरकार और जन जन के प्रयासों से जो एक बड़े केंद्र की स्थापना होने जा रही है उसको हमारी पीढ़ी देख रही है यह सौभाग्य की बात है। स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने कहां कि इंदौर और भोपाल के पत्रकारों का ओमकारेश्वर की इस पवित्र धरा पर आकर यहां की संस्कृति और धार्मिक महत्व के साथ एक अद्वैद वैश्विक केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। इसके बारे में जानकर हम सब अभिभूत हैं। उन्होंने कहा कि यह निर्माण ना केवल मध्य प्रदेश के भविष्य की इबारत लिखेगा बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी हमारी प्राचीन अद्वैत संस्कृति से अवगत कराएगा। कार्यक्रम को स्टेट प्रेस क्लब की ओर से प्रमोद जैन ने समस्त पत्रकारों को इस यादगार टूर की शुभकामनाएं देते हुए खंडवा दादाजी धाम आने का भी न्योता दिया। कार्यक्रम का संचालन पत्रकार अनंत महेश्वरी ने किया तथा आभार देवेंद्र जायसवाल ने माना। इस अवसर पर खण्डवा से वरिष्ठ पत्रकार उदय मण्डलोई, मनीष करे, गौरव जैन, गोपाल राठौर, शेख वसीम, चेतन मण्डलोई, ललित दुबे, देवेंद्र चौकसे, मनोज त्रिवेदी आदि मौजूद थे।

अद्वैत भाव के जागरण का वैश्विक केंद्र बनेगा ओंकारेश्वर 

- विश्व भर में पुराने भारत की एक नई झलक होगा ओंकारेश्वर का ‘एकात्म धाम’
- लगभग 2200 करोड़ की लागत से 125 हैक्टेयर क्षेत्र में स्थापित होगा एकात्म धाम
- पहले चरण में सितंबर 2023 तक आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित होगी
- दूसरे चरण में अगस्त 2024 तक अंतरराष्ट्रीय अद्वैत संस्थान की स्थापना होगी
- 36 हैक्टेयर इलाके में हरियाली बढ़ाने के लिए अद्वैत वन विकसित करेंगे
- नौका विहार के माध्यम से श्रद्धालुओं को अद्वैत परंपरा का परिचय कराएंगे
- अद्वैत वेदांत संस्थान और आचार्य शंकर प्रतिमा स्थल को जोड़ेगा हैंगिंग ब्रिज

108 फीट की प्रतिमा : आचार्य शंकर के बालरूप की 108 फुट ऊंची मूर्ति बेहद दूर से दिखाई देगी। प्रतिमा के लिए प्रदेश की 23 हजार ग्राम पंचायतों के माध्यम से धातु, मिट्‌टी और जल एकत्रित किया गया था। एलएनटी कंपनी ने प्रतिमा का निर्माण कार्य प्रारंभ कर दिया है।

एकात्म धाम की 5 साल की यात्रा
एकात्मधाम केवल एक निर्माण कार्य नहीं है। यह आचार्य शंकर के अद्वैत वेदांत दर्शन के लोकव्यापीकरण का एक विस्तृत प्लान है, जिसके अंतर्गत नियमित व्याख्यानमाला, शंकर फैलोशिप, युवाओं के लिए अद्वैत जागरण शिविर जैसी गतिविधियां नियमित हैं। अद्वैत क्लब के लिए अद्वैत जागरण शिविर में सहभागिता करने वाले शिविरार्थियों एवं हर जिले से 10-10 सदस्यों के चयन की प्रक्रिया जारी है। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान समय-समय पर समस्त योजनाओं एवं विकास कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं।
- डॉ. शैलेन्द्र मिश्र
सहायक संचालक, संस्कृति विभाग


ओंकारेश्वर आचार्य शंकर की ज्ञान स्थली है। यह वही स्थान है, जहां से अद्वैत दर्शन की शिक्षा प्राप्त करके उनके जीवन की महायात्रा आरंभ हुई थी। मूल रूप से उसी अद्वैत दर्शन के लोकव्यापीकरण की दिशा में एकात्मधाम को वैश्विक स्तर पर एक विराट धुरी के रूप में स्थापित किया जा रहा है। आचार्य शंकर के समय ओंकारेश्वर अद्वैत वेदांत का प्रतिष्ठित शिक्षा केंद्र रहा है, जहां केरल से आठ वर्ष की उम्र में शंकर आए थे। गुरू गोविंदभगत्‍पाद के निकट उन्‍होंने तीन वर्ष तक अध्ययन किया था। एक बार फिर ओंकारेश्वर की भूली बिसरी सनातन प्रतिष्ठा लौट रही है। 
- स्वामी वेदतत्वानंद, 
आवासीय आचार्य, 
आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास