"  बहू को बेटी बना के देखो "काव्य गोष्ठी संपन्न

 प्रभात साहित्य परिषद द्वारा हिन्दी भवन के नरेश मेहता कक्ष में " बहू को बेटी बना के देखो" विषय पर काव्य गोष्ठी का आयोजन श्री रमेश नन्द की अध्यक्षता,श्री राजेंद्र शर्मा "अक्षर" के मुख्य आतिथ्य,श्री महेश प्रसाद सिंह के विशेष आतिथ्य एवम् डा.अनिल शर्मा "मयंक " के संचालन में किया गया।

दीप प्रज्जवलन, अतिथियों का सम्मान एवम सरस्वती वंदना के उपरान्त  रामकिशोर रवि ने पढ़ा, _मन से दुर्भाव मिटा के देखो, बहू को बेटी बना के देखो। वहीं डा.अनिल शर्मा" मयंक" ने सुनाया, _ कभी तो घर को सजा के देखो, बहू को बेटी बना के देखो। वहीं रमेश नन्द ने पढ़ा, _ इमारतें तो बहुत बनाई,अब एक घर भी बना के देखो। राजेंद्र शर्मा "अक्षर" ने पढ़ा, _ बनेगा दुश्मन भी, दोस्त प्यारा, दो बोल मीठे, सुना के देखो। बनेगा जन्नत भी, घर तुम्हारा, बहु को बेटी, बना के  देखो।  महेश प्रसाद सिंह ने पढ़ा, _ पराए को अपना के देखो, बहू को बेटी बना के देखो। प्रदीप कश्यप ने पढ़ा, _ जरा सी ममता लूटा के देखो,खुशी से दिल को खिला के देखो। संत कुमार मालवीय ने पढ़ा , _ पिता का फर्ज निभा के देखो, बहू को बेटी बना के देखो।