लघुकथा --प्रतीक्षा का अंत सम्मान से...
प्रतीक्षा का अंत सम्मान से..
छपरा गांव के लोग लम्बें समय से धूल भरी सड़कों से गुजरते थे। आज गांव में सड़क का निर्माण कार्य शुरू होने जा रहा है। पर गांववासियों के आँखों में आसू बह रहे हैं। इसलिए नहीं कि उनकी प्रतीक्षा ख़त्म हुई! बल्कि इस लिए कि उनके गांव के बेटे की शहादत के बाद गांव विकास मंत्री की आखें खुली जब वह वीर की अंतिम यात्रा में शामिल हुए और साथ में अन्य मंत्रिमंडल के प्रतिष्ठित राजनेता का काफिला भी उस पगडंडी भरें रास्ते से गुरा। जिससे विकास मंत्री को अपमानित होना पड़ा । व वीरगति प्राप्त लेफ्टिनेंट कर्नल सुभाषराव के सम्मान में उन्कें नाम पर छपरा गांव में सड़क निर्माण होने जा रहा है। जिससें अब वह गाँव मानचित्र पर अन्य शहरों के बीचों-बीच दिखनें लगेगा व सम्मान से पहचाना जानें लगेंगा । ग्रामीणों की सड़क निर्माण की प्रतीक्षा ख़त्म हुई।
पर आंखों के आंसू .....
-निशा अमन झा बुधे
जयपुर