भारत की टैरिफ नीति में बदलाव, अमेरिका से व्यापार बढ़ाने की दिशा में कदम
भारत की तरफ से अमेरिका के साथ व्यापार को और आगे बढ़ाने की कवायद की जा रही है। इसी कड़ी में भारत ने कुछ कृषि उत्पादों पर शून्य शुल्क सहित अधिक टैरिफ कटौती करने की इच्छा व्यक्त की है। इसके पीछे का मकसद दोनों देशों के बीच के व्यापार को साल 2030 तक बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक ले जाना है।खबर के मुताबिक, यह लक्ष्य इस महीने की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शिखर वार्ता के दौरान तय किया गया था।
संभावित ट्रेड वॉर को रोकने की कवायद तेज
खबर के मुताबिक, नाम न बताने की शर्त पर अधिकारियों ने बताया कि संभावित ट्रेड वॉर को रोकने के लिए, भारतीय पक्ष ने अमेरिका के साथ बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार के लिए कारों, रसायनों, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और चिकित्सा उपकरणों के आयात में बड़ी कटौती का संकेत दिया है। एक अधिकारी का कहना है कि वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में वाशिंगटन में एक टीम टैरिफ में कई बदलावों के ताजा उदाहरणों का हवाला देकर अमेरिकियों के बीच इस नकारात्मक धारणा का मुकाबला करने की कोशिश कर रही है कि भारत एक हाई टैरिफ वाला देश है।
इन प्रोडक्ट्स को लेकर हो सकता है फैसला
भारत की तरफ से कुछ अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर लगाए जाने वाले हाई टैरिफ को लेकर भी फैसला हो सकता है। इनमें हाई-एंड मोटरसाइकिलों पर टैरिफ को 110% से घटाकर 100% करने और अमेरिकी बॉर्बन व्हिस्की पर टैरिफ को 50% से घटाकर 30% करना शामिल है। भारतीय पक्ष ने दाल और मटर की विशिष्ट मात्रा के आयात पर शून्य-शुल्क ढांचे की इच्छा का संकेत दिया है। भारतीय पक्ष ने अमेरिकी व्यापार डेटा का भी हवाला दिया है। यह दर्शाता है कि भारत अमेरिका द्वारा भारत को निर्यात की जाने वाली दो दर्जन से ज्यादा वस्तुओं पर औसतन सिर्फ 3% शुल्क लगाता है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल फिलहाल व्यापार तनाव को कम करने के लिए एक समझौते पर बातचीत करने के लिए वाशिंगटन में हैं। बता दें, टम्प 2 अप्रैल से नए टैरिफ लागू करने जा रहे हैं।
भारत के कुल निर्यात में आ सकती है कमी!
जानकारों का कहना है कि अगर ट्रम्प टैरिफ को लेकर आगे बढ़ते हैं तो भारत की हाई टैरिफ दर और अमेरिका के साथ 41 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष इसे सबसे कमजोर देशों में से एक बनाता है। एसबीआई के एक नोट के मुताबिक, अमेरिका के टैरिफ में औसतन 15%-20% की बढ़ोतरी से भारत के कुल निर्यात में 3-3.5% की कमी आ सकती है। सरकार के सलाहकार प्रस्तावित कम भारतीय टैरिफ के परिणामस्वरूप चीनी सामानों के सस्ते फ्लो को रोकने के लिए उठाए जा सकने वाले कदमों पर भी विचार-विमर्श कर रहे हैं।