मालवा उत्सव में नजर आया भीड़ भरा माहौल
बधाई, मेर रास ,घोड़ी पठाई, टिपणी, मणीयारो रास से सजा मालवा उत्सव का मंच
इंदौर । देश एवं मालवा की लोक संस्कृति को संरक्षित एवं समृद्ध करने व लोक कला को पुनः स्थापित करने के उद्देश्य को लेकर लोक संस्कृति मंच पूरे वर्ष भर कई कार्यक्रमों का आयोजन करता है। जिसमें हरतालिका तीज, गुड़ी पड़वा के कार्यक्रम शामिल है। उसी कड़ी में परंपरागत रूप से आयोजित मालवा उत्सव के तृतीय दिवस पर भीड़ भरा माहौल नजर आया जिसमें लालबाग की मुख्य सड़क के दोनों तरफ लगी शिल्पकारो की स्टालों पर इंदौर एवं प्रदेश की जनता शिल्प कला को निहारते एवं अपने घर में सजाने हेतु खरीदती नजर आई।
लोक संस्कृति मंच के संयोजक एवं सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि कला कार्यशाला एकता मेहता के निर्देशन में 12, 13 एवं 14 मई को सायंकाल 5:30 से 6:30 के बीच लालबाग परिसर पर आयोजित होगी। जिसमें लिप्पन आर्ट, ट्राईबल ज्वैलरी एवं मधुबनी आर्ट का निशुल्क प्रशिक्षण बरखा भावसार, शीतल ठाकुर, निश्मा सिंह बेस ,प्रोणिता लुणावत द्वारा दिया जाएगा। इस हेतु इच्छुक प्रतिभागी लालबाग परिसर पर आकर अपना नाम नोट करवा सकते हैं एवं इसे सीख सकते हैं।
सांस्कृतिक कार्यक्रम
पवन शर्मा एवं रितेश पिपलिया ने बताया कि आज सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बैगा जनजाति का लोक नृत्य घोड़ी पठाई प्रस्तुत किया गया जिसमें 10 पुरुष और 5 महिलाएं शामिल थी महिलाओं ने जहां लाल रंग की मूंगी ,खादी की साड़ी पहन रखी थी और पुरुषों ने झंगा शालुखा जाकिट व पगड़ी पहन कर टिमकी ,बांसुरी और मांदल की थाप पर नृत्य किया जो जनजाति कला को खूबसूरती से व्यक्त कर रहा था। वही गुजरात का चोरवाड जिले का प्रसिद्ध नृत्य टिपणी प्रस्तुत किया गया इसमें लकड़ी की स्टिक हाथ में लेकर और छतरी लेकर लगभग 16 महिला और पुरुषों ने नृत्य किया इस नृत्य में पुराने जमाने में मकान बनाते समय चूना जब कूटा जाता था उसको दर्शाते हुए नृत्य किया गया। नवसारी से आए गुजराती कलाकारों द्वारा मणीयारो रास, 2 महिलाओं और 18 पुरुषों ने डांडिया द्वारा प्रस्तुत किया उन्होंने गुजरात की प्रसिद्ध गरबा रास की परिधान केडिया पहन रखी थी। बोले थे "मारो संदेशो मोकले डोला वाचीली वेलो आओ" ।मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल से आए लोक कलाकारों द्वारा बधाई नृत्य बड़ी खूबसूरती से प्रस्तुत किया गया यह पारंपरिक लोकनृत्य था जिसमें शीतला माता से जनता को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने की प्रार्थना कर उनका धन्यवाद दिया जाता है यह नृत्य मांगलिक प्रसंग एवं खुशियों के मौके पर भी किया जाता है इस नृत्य ने लयबद्धता से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। वीर रस से ओतप्रोत गुजरात का प्रसिद्ध मेर रास जोकि युद्ध में सैनिकों के उत्साहवर्धन एवं घायल सैनिकों का विश्वास बढ़ाने के लिए खेला जाता है बड़ा ही खूबसूरत बन पड़ा था इसमें 10 लड़कों ने डांडिया के साथ अपना परफॉर्मेंस दिया। वहीं स्थानीय कलाकारों में संजना जोशी एवं समूह ने अपनी प्रस्तुति देकर दर्शकों की दाद बटोरी। स्थानीय कलाकार संतोष देसाई द्वारा महाकाल लोक का सुंदर चित्रण नृत्य के माध्यम से किया गया वहीं शोभा चौहान रोडवाल द्वारा बसंत ऋतु का मनोहारी चित्रण नृत्य के माध्यम से प्रस्तुत हुआ।
मालवा उत्सव की विभिन्न व्यवस्थाओं के लिए कंचन गिद्वानी ,मुद्रा शास्त्री, रितेश पाटनी ,संकल्प वर्मा कपिल जैन, जुगल जोशी ,मुकेश पांडे, संध्या यादव, दिलीप सारड़ा, विकास केतके आदि जुटे हुए हैं।