डायबिटीज मेले में पहुंचे 12 हजार से अधिक लोग
इंदौर, 1 अक्टूबर । इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के सर्वेक्षण से यह चौंका देने वाला तथ्य सामने आया है कि मध्यप्रदेश में मधुमेह के जितने युवा मरीज हैं, उनमें से शहरी क्षेत्र में 12 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 7 प्रतिशत मरीज रहते हैं। यही नहीं राज्य के 20 प्रतिशत लोगों में प्री-डायबिटीज के लक्षण हैं अर्थात थोड़े समय बाद वे भी मधुमेह के शिकार बन जाएंगे। एक और खुलासा यह भी हुआ है कि अब 20 से 30 वर्ष आयु समूह के युवाओं में मधुमेह ने अपना मोहजाल फैला रखा है। इसका मुख्य कारण खाने में जंक फूड और अनियमित दिनचर्या के साथ ही स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही और देर रात तक खाने, पीने और जागने की आदतें प्रमुख बताई गई है।
आज ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर पर टोटल डायबिटीज हारमोन इंस्टीटयूट के तत्वावधान में आयोजित डायबिटीज मेला 2023 के समापन दिवस पर आयोजित एक परिसंवाद में डॉ. सुनील एम. जैन ने उक्त बातें कहीं। मेले में आज सुबह से देर शाम तक लगभग 12 हजार लोगों ने आकर मधुमेह के बारे में जानकारियां प्राप्त की। इस दौरान करीब 3 हजार लोगों ने निःशुल्क रक्तचाप, मधुमेह एवं बीएमआई परीक्षण का लाभ उठाया। इसके लिए मेले में 15 काउंटर लगाए गए थे। मेले में वैसे तो करीब 25 स्टाल लगाए गए थे, जिनमें अनेक विश्व स्तरीय दवा कंपनियों और उपकरण निर्माताओं के स्टाल भी थे। सुबह से इन स्टालों पर बड़ी संख्या में लोगों ने आकर अनेक उपकरण भी खरीदे। योग, फिजियोथेरैपी और कैलोरी से संबंधित स्टाल्स भी दिनभर मरीजों से भरे रहे।
*परिसंवाद -* युवाओं में बीमारी फैलने के पहले उसकी रोकथाम के लक्ष्य से आयोजित इस परिसंवाद में 300 से अधिक युवा शामिल हुए, जिन्होंने मधुमेह से संबंधित तमाम जिज्ञासाओं का समादान भी प्राप्त किया और अनेक सवाल भी पूछे। इंदौर के पुलिस आयुक्त मकरंद देउस्कर, वरिष्ठ पत्रकार श्रवण गर्ग, अति. पुलिस आयुक्त राजेश हिंगणकर, समाजसेवी सुरेन्द्र संघवी, बीसीएम ग्रुप के चेयरमैन राजेश मेहता, आर.के. जटिया सहित अनेक गणमान्य नागरिकों ने भी मेले में आकर यहां की व्यवस्थाओं को सराहा, उधर युवाओं के लिए आयोजित परिसंवाद में डॉ. सुबोध बांझल, डॉ. बी.के. सेठिया, डॉ. सिद्धार्थ राके, डॉ. अजय गुप्ता, डॉ. मनोज गेदाम एवं डॉ. अपूर्वा सूरन ने भाग लिया और इंडियन कौंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा कराए गए सर्वेक्षण पर इस बात के लिए चिंता जताई कि हमारे युवा भी तेजी से मधुमेह के मकड़जाल में फंसते जा रहे हैं। चिकित्सकों ने युवाओं को समझाया कि मधुमेह का बीज हमारे लीवर में बोया जाता है। जंक फूड और अन्य चीजें खाने से चर्बी जमा हो जाती है, जो अधिक होने पर पेनक्रियाज में चली जाती है और इस तरह इंसुलीन का बनना बंद हो जाता है। इंसुलीन बनना बंद होने का मतलब है मधुमेह के मरीज होना। आज के युवा को अपनी दिनचर्या के साथ आहारचर्या भी बदलना होगी। स्वस्थ राष्ट्र के लिए स्वस्थ युवा जरूरी है।
यदि पुरुष की कमर का आकार 90 सेमी और महिला की कमर का आकार 80 सेमी से अधिक हो तो यह पेट में मोटापे की शुरूआत मानी जाती है। इसी थीम पर इस डायबिटीज मेले में कठपुतली शो के माध्यम से बताया गया है कि ‘जब पेट पर होता है मटका तब लगता है डाटबिटीज का झटका ’ । आज के युवा जरूरत से ज्यादा भी खाने लगे हैं। यहां लगी आहार प्रदर्शनी और खान-पान की वस्तुओं के पिरामिड के माध्यम से बताया गया है कि किस खाद्य वस्तु में कितनी कैलोरी होती है, जो हमारे स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है। इसी तरह जंक फूड और मिलेट्स से तैयार व्यंजनों का तुलनात्मक अध्ययन भी यहां एक चार्ट के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। इसी तरह मधुमेह की रोकथाम के लिए 200 तरह के आदमकद पोस्टर भी दिनभर पढ़े-लिखे दर्शकों में आकर्षण के केन्द्र बने रहे। अनेक दर्शक तो इन पोस्टर्स की तस्वीरें अपने मोबाईल कैमरे में कैद करते रहे।
दांत के भी लगभग 200 मरीजों ने यहां लगे डेंटल सॉल्युशन के काउंटर पर आकर समाधान प्राप्त किया, इनमें आड़े-टेढ़े दांतों को आई लाइनर तकनीक से और बुजुर्ग मरीजों के दांतों का इलाज फिक्स दांत लगाकर करने का प्रदर्शन भी डॉ. कमलेश बड़ोनिया और उनकी टीम ने किया। इस टीम में डॉ. ईश तराणेकर, डॉ. सोनम बंडी, डॉ. स्नेहिल बड़ोनिया एवं उनके सहयोगी शामिल थे, जिन्होंने दोनों दिन आने वाले मरीजों को टूथ पेस्ट एवं माउथ वाश का मुफ्त वितरण कर परामर्श भी दिया।
मेले में सबसे ज्यादा आकर्षण रहा विश्व की आधुनिकतम तकनीक द्वारा इंसुलिन पंप की मदद से अपनी शुगर को स्वस्फूर्त पद्धति से नियंत्रित करने की मशीन का, जिसे करीब 600 लोगों ने देखा और 200 से अधिक ने खरीदा। इसी तरह फूड झोन में मिलेट्स के मसाला डोसा, नूडल्स, मोमोज और खमण जैसे पौष्टिक व्यंजन भी मरीजों के सामने ही बनाए गए और उन्हें घर पर बनाने की रेसिपी भी बताई गई। पूरे मेले की व्यवस्थाएं इतने दिलचस्प अंदाज में संजोई गई थी कि आने वाले मरीज या दर्शक जैसे-जैसे अगले स्टाल तक पहुंचते, उनकी जिज्ञासा बढ़ती रही। मेले में गुब्बारे फोड़ने की थीम को यहां भी बेहद सुंदर ढंग से लागू किया गया। इसी तरह पहिया घुमाकर ईनाम जीतने का सिलसिला भी पूरे दिन चलता रहा। शक्कर से टक्कर लिखे मिकी माउस जैसे बड़े पुतले भी दिनभर दर्शकों का मनोरंजन भी करते रहे।