भोपाल/पीथमपुर।  यूनियन कार्बाइड के जहरीले कचरे को जलाने का रास्ता साफ हो गया है। भोपाल से यह कचरा पीथमपुर लाया जा चुका है। सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र ने इस पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसे सर्वोच्च अदालत ने खारिज कर दिया। गुरुवार सुबह मामले को लेकर हुई सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता चाहें तो इस संबंध में हाई कोर्ट के समक्ष आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। कोर्ट ने शासन के उस जवाब को भी रिकॉर्ड पर ले लिया है, जिसमें कहा है कि कचरा जलाने के दौरान सभी नियमों का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
कोर्ट के इस रुख के बाद पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के रासायनिक कचरे के निष्पादन का ट्रायल गुरूवार से शुरू हुआ। इस दौरान सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की टीम रामकी एनवायरो कंपनी में मौजूद रही। फैक्ट्री में कचरा जलाने का दूसरा ट्रायल 4 मार्च और तीसरा 12 मार्च से शुरू होगा। इधर, कचरा जलाने के ट्रायल को लेकर प्रशासन सतर्क है। 3 जनवरी को हुए विरोध को देखते हुए प्रशासन कोई कोताही नहीं बरतना चाहता है। लिहाजा, इंदौर देहात और धार जिले के 24 थानों से 500 से ज्यादा पुलिसकर्मी पीथमपुर में रामकी एनवायरो फैक्ट्री के पास तैनात किए गए हैं।


आज से कचरा जलाने का काम होगा शुरू
पीथमपुर में रि-सस्टेनेबिलिटी कंपनी के परिसर में पिछले दो माह से रखे यूनियन कार्बाइड के 337 टन कचरे के 12 कंटेनर में कुछ कंटेनर को गुरुवार को खोला गया। कंटेनर से कचरे को निकालकर उसमें मौजूद हानिकारक तत्वों पर नियंत्रण के लिए सोडियम सल्फाइड जैसे रसायन मिलाए जाएंगे। गुरुवार से ही इंसीनरेटर में ड्राई रन शुरू हो गया है और 12 घंटे तक इंसीनरेटर को चालू कर इसके प्रथम चेम्बर में 850 से 900 डिग्री सेल्सियस व दूसरे चेम्बर में 1100 से 1200 डिग्री सेल्सियस तक तापमान पहुंचाया जाएगा।


पिछली सुनवाई में सरकार से मांगा था जवाब
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से पूछा था कि धार जिले के पीथमपुर में भोपाल की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री का कचरा जलाने के दौरान कोई घटना होगी, तो उससे निपटने के लिए उसके पास क्या इंतजाम हैं। गुरुवार को सरकार ने जवाब दाखिल कर दिया। याचिका में आरोप था कि कचरा जलाने के दौरान अकस्मात आपदा होने की स्थिति में आपदा प्रबंधन के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं।


याचिकाकर्ता की आपत्तियां खारिज
याचिकाकर्ता सामाजिक कार्यकर्ता चिन्मय मिश्र ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि पर्यावरण और स्वास्थ्य नियमों का पालन किए बगैर यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा जलाने की तैयारी की गई है। याचिकाकर्ता का आरोप था कि जिस जगह कचरा जलाया जाना है, वहां से 250 मीटर दूर एक गांव है। एक किमी के दायरे में तीन अन्य गांव हैं, लेकिन स्थानीय नागरिकों को वैकल्पिक स्थान तक उपलब्ध नहीं करवाया गया। कचरा जलाने के दौरान कोई हादसा होता है तो पीथमपुर में अस्पताल भी नहीं है।


हाई कोर्ट के आदेश पर जलाया जा रहा कचरा
उल्लेखनीय है कि भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार यूनियन कार्बाइड के कचरे का निस्तारण करा रही है। इसके लिए जनवरी में 337 टन कचरे को भोपाल से धार जिले के पीथमपुर स्थित संयंत्र में लाकर उसे जलाने की तैयारी कर ली गई थी, लेकिन स्थानीय लोगों ने कचरे के जलने से उसकी जहरीले तत्वों का जलवायु पर दुष्प्रभाव होने की आशंका जताते हुए विरोध कर दिया था।


डबल बेंच ने पहले नंबर इस केस की सुनवाई की
गैस राहत विभाग के डायरेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह ने भास्कर को बताया कि यूका के रासायनिक कचरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट में पिटिशन लगी थी। जस्टिस गवई और जस्टिस मसीह की डबल बेंच ने पहले नंबर इस केस की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए इस मामले को डिस्पोज ऑफ किया कि मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में पहले ही यह मामला विचाराधीन है।


सुप्रीम कोर्ट ने 2 ट्रायल रन का भी संज्ञान लिया
सुप्रीम कोर्ट ने 2013 और 2015 में हुए दो ट्रायल रन का भी संज्ञान लिया। सीपीसीबी के टेस्ट रिपोट्र्स का अवलोकन भी किया। उसके आधार पर डबल बेंच ने पिटिशन को डिस्पोज किया। अगर याचिकाकर्ता को किसी तरीके से कोई भी तथ्य या आपत्ति करना है तो एमपी हाईकोर्ट में दे सकते हैं।