चित्तौड़ा महाजन वैश्य समाज द्वारा उषाराजे परिसर में चल रहे भागवत ज्ञान गंगा सप्ताह का विश्राम 

इंदौर, 26 सितम्बर। भागवत केवल ग्रंथ नहीं, हम सबके जीवन को सदगुणों से अलंकृत करने का सबसे सरल माध्यम है। यह ज्ञान और भक्ति के साथ सेवा के मार्ग पर ले जाने वाला वह प्रकाश स्तंभ है, जो अंधकार में चौराहे पर भटक रहे यात्री को सही दिशा में ले जाता है। भागवत जैसे धर्मग्रंथों की प्रासंगिकता कभी खत्म नहीं हो सकती, क्योंकि यह साक्षात भगवान का ही स्वरूप है। यही कारण है कि हजारों बार भागवत कथा सुन लेने के बाद भी भागवत बार-बार सुनने की इच्छा बनी रहती है।  यह इच्छा ही हमारी भक्ति का प्रमाण है। जीवन में परमार्थ के जितने अधिक काम करेंगे, प्रभु हमसे उतने ज्यादा प्रसन्न रहेंगे। किसी की आंखों के आंसू पोंछने से बड़ा कोई पुण्य नहीं हो सकता। 
ये दिव्य विचार हैं प्रख्यात भागवताचार्य पं. आयुष्य दाधिच के, जो उन्होंने श्री नागर चित्तौड़ा वैश्य महाजन समाज, चित्तौड़ा सोशल ग्रुप, संस्था रंग तरंग एवं समाज की अन्य संस्थाओं के तत्वावधान में उषानगर स्थित उषा राजे परिसर में चल रहे भागवत ज्ञान गंगा सप्ताह में कृष्ण-सुदामा मिलन के भावपूर्ण प्रसंग के दौरान व्यक्त किए। कथा शुभारंभ के पूर्व विधायक मालिनी गौड़, हाईलिंक ग्रुप के संचालक वीरेन्द्र गुप्ता, समाज के अध्यक्ष राजेन्द्र महाजन, गिरधर गुप्ता, विमल हेतावल, प्रणय चित्तौड़ा, धर्मेन्द्र गुप्ता, दामोदर महाजन, डॉ. कमल हेतावल, हेमंत हेतावल, कमलेश गुप्ता आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया। आचार्यश्री की अगवानी पुरुषोत्तम अकोतिया, राजेश अकोतिया, बद्रीलाल मेहता, गगन वाणी, गिरीश कश्यप, अजय हेतावल, जय हेतावल, नवनीत गुप्ता, अशोक गुप्ता, पीयूष गुप्ता, ललित  मेहता, डॉ. अनिल महाजन, शैलेन्द्र अगस्त्य, उमेश गुप्ता आदि ने की। बुधवार 27 सितम्बर को सुबह 9 बजे से यज्ञ-हवन के साथ पूर्णाहुति होगी। 


    आचार्य पं. दाधिच  ने कहा कि भागवत जैसी धरोहरों के कारण ही भारत भूमि हमेशा विश्व वंदनीय रही है। भागवत ऐसा ग्रंथ है, जिसकी प्रासंगिकता कभी खत्म नहीं हो सकती। भागवत के श्रवण से भक्ति रूपी पुरुषार्थ का उदय होता है। भागवत का श्रवण करने वाले तो पुण्य के हकदार हैं ही, श्रवण कराने वाले भी उनसे ज्यादा पुण्य के पात्र होते हैं। कथा सुनने, सुनाने वालों से भी ज्यादा पुण्य कथा कराने वालों को मिलता है, जो अपने लिए नहीं, दूसरों के लिए मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते है। 

भागवत ज्ञान यज्ञ के विश्राम दिवस को आरती के बाद सभी समाजजनों ने महापुराण और व्यास पीठ का पूजन किया।  इसके बाद एक शोभा यात्रा निकली जो द्रविड़ नगर निवासी श्रीमती किरण गुप्ता के निवास तक पहुंची जहाँ  श्रीमद भगवत गीता की पधरावनी की गई और स्वागत किया गया।