तर्पण के बाद ली यातायात नियमों का पालन करने की शपथ
हंसदास मठ पर हर दिन उमड़ रहा साधकों का सैलाब
इंदौर, 5 अक्टूबर। तर्पण हमारे सोलह संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण शास्त्रोक्त अनुष्ठान है, जिससे काल सर्पदोष, पितृदोष एवं जन्म कुंडली के ग्रहों के दोष भी नष्ट हो सकते हैं। हमारी संस्कृति में दीपावली, नवरात्रि, गणेश उत्सव एवं श्राद्ध पक्ष जैसे उत्सवों का प्रावधान इसीलिए है कि हम अपने देवी-देवताओं और पितरों को प्रसन्न रख सकें। देव कर्म एच्छिक हो सकते हैं, लेकिन पितृ कर्म तो अनिवार्य ही होते हैं। ये केवल श्राद्ध पक्ष में नहीं, बल्कि हर दिन भी करें तो इससे पितरों और पूर्वजों को प्रसन्नता भी मिलेगी और हमारे पुण्य का बैलेंस भी बढ़ेगा।
श्रद्धा सुमन सेवा समिति द्वारा श्राद्ध पक्ष के उपलक्ष्य में हंसदास मठ पर गत 29 सितम्बर से तर्पण अनुष्ठान का आयोजन हो रहा है । समिति के संस्थापक मोहनलाल सोनी, संयोजक हरि अग्रवाल एवं राजेन्द्र गर्ग ने बताया कि यहां प्रतिदिन 400 से 500 साधक अपने पितरों के लिए तर्पण अनुष्ठान कर रहे हैं। भागवताचार्य पं. पवन तिवारी शास्त्रोक्त विधि-विधान से सभी क्रियाएं संपन्न करा रहे हैं। आज तर्पण अनुष्ठान में हंस पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य, परशुराम सेना के पं. पवनदास महाराज एवं म.प्र. ज्योतिष एवं विद्वत परिषद के अध्यक्ष आचार्य पं. रामचंद्र शर्मा वैदिक के विशेष आतिथ्य में यातायात पुलिस के अति. उपायुक्त अरविंद तिवारी ने सभी साधकों को यातायात नियमों का पालन करने की शपथ भी दिलाई। अतिथियों का स्वागत मोहनलाल सोनी, हरि अग्रवाल, राजेन्द्र गर्ग, सीए सीताराम सोनी, चंद्रप्रकाश गुप्ता, डॉ. चेतन सेठिया, जगमोहन वर्मा, माणकचंद पोरवाल, गिरधर सोनी, उमेश गहलोत, राजेन्द्र सोनी आदि ने किया। संतों की अगवानी कमल गुप्ता, जवाहरलाल शर्मा, भगवती प्रसाद कुमावत, अनिल सांगोले, राजकुमारी मिश्रा, ज्योति शर्मा, मंजू सोनी आदि ने की।
आज भी तर्पण अनुष्ठान में देश के लिए शहीदों, गोवंश, होल्कर शासकों एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के लिए भी मोक्ष की कामना की गई। तर्पण के बाद निर्धनों, पशु-पक्षियों के लिए खीर प्रसाद की व्यवस्था भी यहां रखी गई है। साधकों के लिए तर्पण सामग्री, दूध, दुर्वा, तिल, जौ, पुष्प एवं जनेऊ सहित सभी सामग्री समिति की ओर से निःशुल्क दी जा रही है। तर्पण अनुष्ठान श्राद्ध पक्ष में 14 अक्टूबर सर्वपितृ अमावस्या तक प्रतिदिन सुबह 8 से 10 बजे तक जारी रहेगा। इसके पूर्व 7 से 13 अक्टूबर तक पितृ मोक्षदायी भागवत कथा प्रतिदिन दोपहर 2 से 5 बजे तक होगी।