साहित्य कला संस्कृति से जुड़े लोगों में नायक का भाव जगाने में राजुरकर की महत्वपूर्ण भूमिका                         दुष्यंत कुमार स्मारक पांडुलिपि संग्रहालय के निदेशक राजुरकर राज की श्रद्धांजलि सभा में उमड़े राजधानी के सैकड़ों साहित्यकार कलाधर्मी      

      भोपाल | राजुरकर राज व्यक्ति नहीं संस्था थे ,उनका हमारे बीच से जाना एक ऐंसा शून्य पैदा कर गया जिसे कभी नहीं भरा जा सकता ,कुछ इस तरह के उदगार थे राजधानी के साहित्यकारों कलाकारों संस्कृतिधर्मियों के | इस अवसर पर अपनी श्रद्धांजलि देते हुए रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति वरिष्ठ कथाकार उपन्यासकार श्री सन्तोष चौबे ने कहा कि ' राजुरकर साहित्य में किसी भी तरह के वाद और विचारधारा विशेष के पैरोकार नहीं थे ,वे जो भी अच्छा सृजक था उसे संग्रहालय से जोड़ते उसे सम्मानित करते उनमें लोगों को पहचानने उन्हें अपना बनाने की अनूठी क्षमता थी | ' संग्रहालय के अध्यक्ष श्री रामराव वामनकर ने अपने श्रद्धासुमन प्रकट करते हुए कहा कि ' एक छोटी सी जगह से निकलकर राजुरकर ने अपनी प्रतिभा और संघर्ष के बल पर राजधानी ही नहीं अपितु अपने देश विदेश में भी अपनी और संग्रहालय की महत्वपूर्ण पहचान बनाई | ' इस अवसर पर ग़ज़लकार श्री आलोक त्यागी ने कहा कि -' जिद जोश और जुनून का दूसरा नाम राजुरकर था उन्होंने जो एक बार ठान लिया वह काम पूरा करके ही चैन लेते थे | ' इस अवसर पर अपनी विनम्र श्रद्धांजलि प्रकट करते हुए साहित्यकार घनश्याम मैथिल 'अमृत' ने कहा कि ' राजुरकर ने लम्बी भले नहीं पर एक महत्वपूर्ण उम्र पाई जिसमें वे संग्रहालय की स्थापना के माध्यम से ऐंसा काम कर गए जिससे वे सदैव युगों युगों तक हमारे बीच जीवित रहेंगे |डॉ रामवल्लभ आचार्य ने राजुरकर राज को एक सच्चा साहित्य सेवी बताते हुए उनके महत्वपूर्ण अवदान को रेखांकित किया | वनमाली सृजन पीठ के अध्यक्ष कथाकार  मुकेश वर्मा ने कहा कि ' राजुरकर ने साहित्य एवम कला के क्षेत्र में दूसरे लोगों को मंच एवम सम्मान प्रदान किया यह साहस कम ही लोगों में होता है |  इस अवसर पर जया आर्य ने भी उनके आकाशवाणी की सेवाकाल को स्मरण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए | ' इस अवसर शैलेन्द्र शैली ने कहा कि ' राजुरकर राज ने साहित्यकारों कलाकारों को।एक नई ज़मीन नई पहचान दी उनमें नायक का भाव जगाया | ' कार्यक्रम में लज्जाशंकर हरदेनिया, विशाखा राजुरकर, नरेंद्र दीपक, संगीता राजुरकर,राजेश भट्ट ने भी अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए | कार्यक्रम का संचालन विमल भंडारी ने किया ,कार्यक्रम में उपस्थितजनों ने दो मिनिट का मौन रख राजुरकर राज के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें अपने श्रद्धासुमन अर्पित किए | इस अवसर पर श्री अशोक निर्मल,मिथलेश वामनकर,देवेंद्र कुमार जैन, अशोक बुलानी,डॉ जवाहर कर्नावट, गोकुल सोनी,कांता राय,अशोक मनवानी,विनोद नागर ,सुनील दुबे,जगदीश प्रसाद कौशल,डॉ क्षमा पांडेय , ऋषि श्रृंगारी, विनोद नागर,कैलाश आदमी, किशन तिवारी, बलराम धाकड़, महेश सक्सेना,अशेष श्रीवास्तव,मृदुल त्यागी, मुज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी,सीमा हरि शर्मा,डॉ मौसमी परिहार,डॉ प्रीति प्रवीण,बिहारीलाल सोनी सहित अनेक साहित्यकार उपस्थित थे |