छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार शनिवार को राज्य विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन BJP द्वारा लाए गए अविश्वास मत से बच गई. राज्य विधानसभा में 13 घंटे की बहस के बाद देर रात एक बजे ध्वनि मत से अविश्वास प्रस्ताव गिर गया.

90 सदस्यीय विधानसभा में जहां कांग्रेस के 71 सदस्य हैं, वहीं सदन में बीजेपी के 13 विधायक हैं.

सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर तीखी बहस हुई, क्योंकि विपक्षी सदस्यों ने कथित घोटालों, अपने चुनावी वादों को पूरा न करने और कानून व्यवस्था की 'बिगड़ती' स्थिति को लेकर कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा.

ट्रेजरी बेंच ने यह दावा करते हुए आरोपों को खारिज कर दिया कि विपक्ष कोई ठोस मुद्दा लाने में विफल रहा और उसकी चार्जशीट में तथ्यों का अभाव है. बहस का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि विपक्ष के आरोप पत्र में तथ्यों की कमी है और इसे लाकर भाजपा ने सरकार को विधानसभा में अपनी उपलब्धियों को उजागर करने का मौका दिया है.

सीएम द्वारा अपना भाषण समाप्त करने से कुछ समय पहले, भाजपा सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी और दावा किया कि वह विपक्ष के आरोपों का जवाब देने में विफल रही और सदन से बाहर चले गए.

केंद्र की आलोचना करते हुए, बघेल ने कहा कि प्रवर्तन निदेशालय को भारी शक्तियां दी गई हैं जो देश के हित में नहीं है. उन्होंने कहा, 'मैं जीएसटी से संबंधित मामलों की जांच के लिए ईडी को अधिकार देने के कदम का कड़ा विरोध करता हूं.'

भाजपा ने बघेल सरकार के खिलाफ 109 सूत्रीय 'चार्जशीट' पेश की
शुक्रवार को दोपहर बाद शुरू हुई बहस में भाजपा ने बघेल सरकार के खिलाफ 109 सूत्रीय 'चार्जशीट' पेश की और उस पर भ्रष्टाचार और चुनावी वादों को पूरा करने में विफलता का आरोप लगाया. सत्तारूढ़ दल ने आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि भाजपा इस साल के अंत में राज्य में विधानसभा चुनाव होने से पहले आखिरी सत्र के दौरान ठोस मुद्दों के साथ आने में विफल रही है.

शुक्रवार को तय थी चर्चा
बीजेपी ने बुधवार को सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था और इस पर शुक्रवार को चर्चा तय थी. बहस की शुरुआत करते हुए, भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि अविश्वास प्रस्ताव इसलिए लाया गया है क्योंकि यह सरकार 'बहरी और गूंगी' हो गई है और 'लोकतंत्र की हत्यारी' बन गई है.

उन्होंने दावा किया कि युवाओं पर बघेल सरकार के अत्याचार अंग्रेजों से भी ज्यादा हैं. उन्होंने कांग्रेस की छत्तीसगढ़ इकाई के प्रमुख के रूप में मोहन मरकाम को हटाकर उन्हें बघेल के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में शामिल करने और मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम को मंत्रिमंडल से हटाने का भी जिक्र किया.