नए संसद भवन में प्रवेश करने के साथ ही पीएम मोदी ने जो विजयी दांव 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023' चला है, अब कांग्रेस पार्टी ने वैसा ही 'दांव' चल दिया है। पीएम मोदी के इस दांव को भाजपा, 2024 के लोकसभा चुनाव में भुनाना चाहती है।

भाजपा, लगभग 43 करोड़ महिला वोटरों को साधने की तैयारी कर रही है। बुधवार को लोकसभा में जब सोनिया गांधी ने बोलना शुरू किया तो महिला आरक्षण पर कांग्रेस का नया 'दांव' नजर आया। सोनिया ने कहा, 'खुद को हारते हुए, लेकिन आखिरी बाजी में जीतते हुए देखा है'। राजनीतिक जानकारों ने इसे 'दांव पर दांव' बताया है। इसके सियासी मायने, पहले वाले दांव की चमक को फीकी भी कर सकते हैं। एक अनुभवी राजनेता की तर्ज पर सोनिया गांधी ने बहुत नपे तुले शब्दों में अपनी बात रखी। उन्होंने साफ कर दिया कि कांग्रेस पार्टी तो लंबे समय से इस बिल के लिए प्रयासरत थी। पिछले 13 वर्षों से भारतीय स्त्रियां अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी का इंतजार कर रही हैं। अब उन्हें कुछ वर्ष और इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है। कितने वर्ष- 2 वर्ष, 4 वर्ष, 6 वर्ष, 8 वर्ष। क्या भारत की स्त्रियों के साथ यह बर्ताव उचित है। सोनिया ने यह बात कह कर 'दांव पर दांव' चल दिया है।

2010 को राज्यसभा में पारित हुआ महिला आरक्षण बिल

मंगलवार को जब 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023' संसद में पेश किया गया, तो कांग्रेस पार्टी ने भी उसका स्वागत किया था। चूंकि यह फ्रेश बिल था तो कांग्रेस पार्टी ने इस पर एतराज जताया था। पार्टी का कहना था कि ये तो पुराना बिल है। इस बात को लेकर सदन में गृह मंत्री अमित शाह और अधीर रंजन चौधरी के बीच तीखी बहस देखने को मिली। कांग्रेस पार्टी के नेता जयराम रमेश ने कहा, कांग्रेस पार्टी लंबे समय से महिला आरक्षण को लागू करने की मांग करती रही है। यह बिल कुछ और नहीं, बल्कि ईवीएम-इवेंट मैनेजमेंट है।

महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लेकर आए थे। विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा में पारित हुआ, लेकिन उसे लोकसभा में पास नहीं कराया जा सका। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी मंगलवार को कह दिया कि ये बिल तो कांग्रेस सरकार के दौरान पहले भी लाया गया था। राज्यसभा से पास होने के बाद वह लोकसभा में फेल हो गया। ये लोग अब इस बिल से राजनीतिक फायदा लेने के चक्कर में उसका प्रचार कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी इस बिल पर पूरा सहयोग करेगी, मगर सरकार को इसकी खामियां दूर करनी होंगी।

सोनिया गांधी ने चल दिया बड़ा दांव

संसद में बोलते हुए सोनिया गांधी ने कहा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग है कि यह बिल फौरन अमल में लाया जाए। इसके साथ ही जातिगत जनगणना कराकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी की महिलाओं के आरक्षण की व्यवस्था की जाए। सरकार को इसे साकार करने के लिए भी जो कदम उठाने की जरूरत है, वह उठाने ही चाहिए। सोनिया गांधी ने यह बात कह कर केंद्र सरकार को भी घेरने का प्रयास किया है। वजह, महिला आरक्षण को फाइलों से जमीन पर उतरने में अभी लंबा वक्त लग सकता है। पहले जनगणना होगी और उसके बाद परिसीमन होगा। इन सबके बाद ही बिल को लागू करने की प्रक्रिया शुरू होगी। मैं राष्ट्रीय कांग्रेस की तरफ से 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम 2023' के समर्थन में खड़ी हुई हूं। उन्होंने कहा, धुंए से भरी हुई रसोई से लेकर रोशनी से जगमगाती हुई स्टेडियम तक भारत की स्त्री का सफर बहुत लंबा है, लेकिन आखिरकार उसने मंजिल को छू लिया है। उसने जन्म दिया है, उसने परिवार चलाया है, उसने पुरुषों के बीच तेज दौड़ लगाई और असीम धीरज के साथ अकसर खुद को हारते हुए लेकिन आखिरी बाजी में जीतते हुए देखा है।

मुश्किल वक्त में हिमालय की तरफ अडिग

सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण बिल पर बोलते हुए महिलाओं को लेकर अनेक बातें कहीं। उनके संबोधन में जिस तरह के शब्द देखे गए हैं, वे सामान्य तौर पर हिंदी की वीर रस की कविताओं में देखने को मिलते हैं। सोनिया ने कहा, भारत की स्त्री के हृदय में महासागर जैसा धीरज है। उसने खुद के साथ हुई बेईमानी की शिकायत नहीं की और सिर्फ अपने फायदे के बारे में कभी नहीं सोचा। उसने नदियों की तरह सबकी भलाई के लिए काम किया है। मुश्किल वक्त में वह हिमालय की तरफ अडिग रही। स्त्री के धैर्य का अंदाजा लगाना नामुमकिन है, वह आराम को नहीं पहचानती और थक जाना भी नहीं जानती। हमारे महान देश की मां है स्त्री, लेकिन स्त्री ने हमें सिर्फ जन्म ही नहीं दिया है, अपने आंसुओं, खून-पसीने से सींच कर हमें अपने बारे में सोचने लायक बुद्धिमान और शक्तिशाली भी बनाया है। स्त्री की मेहनत, स्त्री की गरिमा और स्त्री के त्याग की पहचान करके ही हम लोग मनुष्यता की परीक्षा में पास हो सकते हैं। वह उम्मीदों, आकांक्षाओं, तकलीफों और घर गृहस्थी के बोझ के नीचे नहीं दबी। सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, अरुणा आसफ अली, विजयलक्ष्मी पंडित, राजकुमारी अमृत कौर और उनके साथ तमाम लाखों-लाखों महिलाओं से लेकिन आज की तारीख तक स्त्री ने कठिन समय में हर बार महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबा साहेब अंबेडकर और मौलाना आजाद के सपनों को जमीन पर उतार कर दिखाया है।

राजीव गांधी का सपना अभी तक आधा ही पूरा

सोनिया गांधी ने कहा, इंदिरा गांधी का व्यक्तित्व, इस सिलसिले में एक बहुत ही रोशन और जिंदा मिसाल है। खुद मेरी जिंदगी का यह बहुत मार्मिक क्षण है। पहली दफा स्थानीय निकायों में स्त्री की भागीदारी तय करने वाला संविधान संशोधन, मेरे जीवन साथी राजीव गांधी ही लाए थे। उस वक्त वह बिल राज्यसभा में 7 वोटों से गिर गया था। बाद में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में उसे पारित कराया गया। आज उसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों के जरिए हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। राजीव गांधी का सपना अभी तक आधा ही पूरा हुआ है। इस बिल के पारित होने के साथ ही वह सपना पूरा होगा। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग है कि यह बिल फौरन अमल में लाया जाए। जातिगत जनगणना के जरिए, इस बिल में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की जाए। सरकार को इसे साकार करने के लिए भी जो कदम उठाने की जरुरत है, वह उठाने ही चाहिए। इस बिल को लागू करने में और देरी करना भारतीय स्त्रियों के साथ घोर नाइंसाफी है।

क्या 2024 चुनाव से पहले होगी जनगणना और परिसीमन?

कांग्रेस पार्टी का कहना है कि भाजपा, इस बिल को चुनाव में भुनाना चाहती है। यह चुनावी जुमलों के इस मौसम में, यह उन सभी जुमलों में सबसे बड़ा है। यह करोड़ों भारतीय महिलाओं और लड़कियों की उम्मीदों के साथ बहुत बड़ा धोखा है। मोदी सरकार ने अभी तक 2021 की दशकीय जनगणना नहीं कराई है। जी20 शिखर सम्मेलन में भारत एकमात्र ऐसा देश है, जो जनगणना कराने में विफल रहा है। अब इसमें कहा गया है कि महिला आरक्षण विधेयक के अधिनियम बनने के बाद आयोजित पहली दशकीय जनगणना के बाद ही महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा। यह जनगणना कब होगी। विधेयक में यह भी कहा गया है कि आरक्षण अगली जनगणना के प्रकाशन और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सवाल किया है कि क्या 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जनगणना और परिसीमन होगा। मूल रूप से यह विधेयक अपने कार्यान्वयन की तारीख के बहुत अस्पष्ट वादे के साथ आज सुर्खियों में है। यह कुछ और नहीं, बल्कि ईवीएम-इवेंट मैनेजमेंट है।