पुणे ।  राकांपा के संस्थापक शरद पवार के समर्थकों ने अजित पवार गुट को असली राकांपा के रूप में मान्यता देने के निर्वाचन आयोग के फैसले की बुधवार को निंदा की है। उन्होंने पुणे तथा आस-पास के इलाकों में काले रिबन पहनकर विरोध प्रकट किया। चुनाव आयोग ने शरद पवार को झटका देते हुये महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले खेमे को असली राकांपा के रूप में मान्यता दी और उन्हें पार्टी का नाम तथा चिह्न भी आवंटित किया।
राकांपा संस्थापक के समर्थकों का कहना है कि शरद पवार का मतलब ही पार्टी और चिह्न है। उन्होंने कहा कि राज्य में हर कोई जानता है कि राकांपा वास्तव में किसकी है। पुणे शहर के पास एक औद्योगिक क्षेत्र, पिंपरी चिंचवाड़ में एक महिला समर्थक ने कहा, ‘‘ यह पहली बार नहीं है कि शरद पवार साहब को इस तरह के हालात का सामना करना पड़ा है, लेकिन दुखद बात यह है कि परिवार के व्यक्ति ने ही पार्टी तोड़ दी। मुझे विश्वास है कि महाराष्ट्र के लोग इसका करारा जवाब देंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हम काले रिबन और काले कपड़े पहनकर चुनाव आयोग के फैसले की निंदा कर रहे हैं। एक अन्य समर्थक ने कहा कि कल एक काला दिन था। पार्टी के एक कार्यकर्ता ने कहा, ‘‘ पवार साहब द्वारा खड़ी की गई पार्टी को दूसरे गुट को दे देना संविधान का उल्लंघन है। पवार साहब ने अजित पवार को कई उच्च पदों पर रखा, लेकिन उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की मदद से उनकी ही राजनीति को खत्म करने की साजिश रची।
पुणे में भी शरद पवार गुट के पार्टी कार्यकर्ताओं ने काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया। राकांपा  की शहर इकाई के अध्यक्ष प्रशांत जगताप ने कहा कि वे नये नाम और चिह्न के साथ लोगों के पास जाएंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘ दूसरे गुट द्वारा पार्टी पर कब्जा कर लेने से पवार साहब पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि ज्यादा से ज्यादा लोग उनके समर्थन में आएंगे। शरद पवार ने 1999 में राकांपा को स्थापित किया था। उनके भतीजे एवं वरिष्ठ नेता अजित पवार के पार्टी के आठ विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल हो जाने के बाद पार्टी विभाजित हो गई।