मुंबई । अमेरिका में खुदरा बिक्री में भारी गिरावट आने की वजह से जून में ब्याज दरों में कमी होने की संभावना बढ़ने से वै‎श्विक बाजार में आई तेजी से उत्साहित निवेशकों की स्थानीय स्तर पर हुई मजबूत लिवाली से बीते सप्ताह एक फीसदी से अधिक चढ़े घरेलू शेयर बाजार की नजर अगले सप्ताह नीतिगत दरों को लेकर अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के रुख पर रहेगी। इस सप्ताह कई फैक्टर बाजार को प्रभावित कर सकते हैं। इस सप्ताह 2 मेनबोर्ड और 3 एसएमई आईपीओ लॉन्च होने वाले हैं, जबकि 7 नए शेयरों की बाजार में लिस्टिंग होने वाली है। कंपनियों के तिमाही नतीजे का सीजन नरम पड़ने लगा है क्योंकि ज्यादातर कंपनियों ने नतीजे जारी कर दिए हैं। निवेशकों की निगाहें एफपीआई पर भी रहेंगी, जो पिछले सप्ताह 5 में से 3 सेशन में लिवाल रहे, उन्होंने 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा की खरीदारी की। डीआईआई ने भी 8,700 करोड़ रुपये की खरीदारी की। सप्ताह के दौरान बाजार पर कुछ विदेशी फैक्टर भी असर दिखा सकते हैं। अमेरिका में सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व की ओपन मार्केट कमिटी की हालिया बैठक के मिनट्स जारी होंगे। नए साल की छुट्टियों के बाद चीन समेत कई एशियाई बाजार वापस खुलेंगे। डॉलर, रुपया और कच्चे तेल की कीमतें भी शेयर बाजार को प्रभावित करेंगी। बीते सप्ताह बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 831.15 अंक की छलांग लगाकर सप्ताहांत पर 72 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार 7242664 अंक पर बंद हुआ। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 258.2 अंक उछलकर 22 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर से ऊपर 22040.70 अंक पर पहुंच गया। विश्लेषकों के अनुसार बैंकिंग क्षेत्र में भारी लिवाली ने सेंसेक्स और निफ्टी को नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ने में मदद की, जिससे ऊंचे मूल्यांकन और उच्च विनिमय मार्जिन जरूरतों पर चिंताओं के कारण बीते सप्ताह कारोबार की धीमी शुरुआत हुई। अन्य एशियाई बाजारों के विपरीत अमेरिका के अपेक्षा से कमजोर महंगाई आंकड़ों से उत्साहित सूचकांकों ने अपनी तेजी जारी रखी। अमेरिका में खुदरा बिक्री में गिरावट के कारण फेड रिजर्व के ब्याज दर में कटौती की निवेशकों की उम्मीदों को बल मिला। इसके अलावा यूरोज़ोन में अवस्फीति की प्रवृत्ति और नए साल की छुट्टियों के बाद चीन में खपत बढ़ने की उम्मीद ने बाजार को और समर्थन प्रदान दिया। उम्मीद बाजार के जानकारों ने कहा ‎कि उच्च मूल्यांकन जोखिमों के कारण इस सप्ताह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में करेक्शन की संभावना है। इस बीच धातु, एफएमसीजी और कैपिटल गुड्स जैसे क्षेत्रों में मजबूत निर्माण मांग, ऑर्डर बैकलॉग, ग्रामीण पुनरुद्धार की संभावनाओं और भारत के कम होते व्यापार घाटे के कारण गति बढ़ने की उम्मीद है। इसे जिंसों की कीमतों में नरमी और सरकार के नेतृत्व वाली विनिर्माण पहलों से बढ़ावा मिला है।