कोण्डागांव:  छत्तीसगढ़ सरकार की सुराजी गांव योजनांतर्गत ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देते हुए लोगों को गांव में ही पूर्ण रोजगार देने एवं गांव के विकास के लिए नरवा, गरवा, घुरवा व बाड़ी को विकसित करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिससे अब गांवों की तस्वीर बदल रही है। भूगर्भीय जल स्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन की दिशा में नरवा कार्यक्रम के माध्यम से ठोस प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि कृषि एवं कृषि संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके। वर्षा के जल पर निर्भर किसानों के लिए यह योजना काफी फायदेमंद साबित हो रहा है। कल तक जो किसान वर्षा ऋतु के इंतजार में सिर्फ एक फसल ले पाते थे, ऐसे सभी किसानों के लिए नरवा योजना वरदान साबित हो रही है। अब वे खरीफ के अलावा रबी फसल का भी लाभ ले रहे हैं। नरवा के माध्यम से सिंचाई सुविधाओं के विस्तार से किसानों की आय में वृद्धि हो रही हैं साथ ही वे सामाजिक और आर्थिक रूप से भी सशक्त हो रहे हैं। किसानों को खरीफ के साथ ही रबी फसलों के लिए भी पर्याप्त मात्रा में पानी मिल रहा है, आसपास के क्षेत्रों में भूजल स्तर भी बढ़ रहा है साथ ही मनरेगा के तहत नरवा विकास कार्यों में शामिल होकर ग्रामीणों को रोजगार भी प्राप्त हो रहा है।
    नरवा विकास योजना के अंर्तगत कोण्डागांव जिले के जनपद पंचायत माकड़ी मुख्यालय से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत ठेमगांव से होकर बहने वाले बुडरा नाला में जल संचयन एवं जल स्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन को बढ़ावा मिल रहा है। बुडरा नाला नजदीक के जंगलों से निकलकर ठेमगांव, ओंडरी, सोडसिवनी, लुभा से लगभग 6 किलोमीटर तक बहने के पश्चात नारंगी नदी में जाकर समाहित हो जाती है। इस नाले में मनरेगा के अंतर्गत ग्राम पंचायत के प्रस्ताव द्वारा नवीन तालाब सह वियर निर्माण कार्य हेतु 9.62 लाख रुपये लागत के मनरेगा कार्यों की स्वीकृति प्रदान की गई थी। नवीन तालाब सह वियर निर्माण (नाला उपचार) के पहले सितंबर तक सूख जाने वाला यह नाला अब बरसात के बाद 05 महीने जनवरी-फरवरी तक पानी भरा रहता है। जिससे किसानों को खरीब के अलावा रबी फसल लगाने में भी सहूलियत मिल रही है।
          नाले के समीप खेती करने वाले किसान आशाराम मरकाम बताते हैं कि नाला उपचार के पूर्व जहां किसानों को एक फसल लेने में मुश्किल हो रही थी वहीं अब नाला उपचार के बाद खरीफ और रबी दोनों की फसल ले रहे हैं। नाला उपचार से पूर्व जहां 2 एकड़ में रबी फसल के तहत मक्का एवं साग-सब्जी के उत्पादन सेे लगभग 8 से 9 हजार की ही आमदनी हो पाती थी। अब नाले में सह वियर (छोटा नाला) बन जाने से पानी का जलभराव ज्यादा होने पर धान के अलावा मक्का, चना और सब्जी से लगभग 30 हजार की अतिरिक्त आमदनी हो जाती है। इस अतिरिक्त आय से आशाराम बहुत उत्साहित हैं और आने वाले समय में अपने अन्य 1.5 एकड़ भूमि में भी दूसरी फसल लेने की सोच रहे हैं। वे कहते हैं कि इस अतिरिक्त आय से उन्हें घर की मरम्मत, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और परिवार की जरूरतों को पूरा करने में बहुत मदद मिल रही है। वहीं नाला के आस-पास के अन्य किसान दसरू, सतारू, चिकनू और धनसिंह भी खरीफ के अलावा रबी मौसम में मक्का और साग-सब्जी की अच्छी फसल ले रहे हैं। जिससे उन्हें भी अतिरिक्त आय का एक साधन मिल गया है। नाला उपचार के बाद किसानों की आय में वृद्धि हो रही इसके लिए किसानों ने शासन-प्रशासन को तहेदिल से धन्यवाद दिया है।