नई दिल्ली ।   नई सरकार के गठन के बाद अब लोकसभा स्पीकर का चुनाव होना बाकी है। 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून से शुरू होने जा रहा है। इस दौरान ही नए स्पीकर का चुनाव होना है। सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की अगुवाई कर रही भाजपा स्पीकर की कुर्सी अपने पास रखना चाहती है, तो वहीं तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) भी यह पद चाह रही है। ऐसे में अब सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की निगाहें लोकसभा अध्यक्ष पर टिकी हुई हैं। भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ विचार-विमर्श के बाद ये तय मान कर चल रही है कि अगला लोकसभा अध्यक्ष भी भाजपा से ही होगा। पार्टी लोकसभा उपाध्यक्ष का पद एनडीए के किसी सहयोगी दल को देने के लिए तैयार नजर आ रही है। वहीं, दूसरी तरफ विपक्ष लोकसभा अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के नाम की घोषणा के इंतजार में है। एनडीए के किसी के नेता को अध्यक्ष बनाए जाने की स्थिति में विपक्ष का रुख नरम हो सकता है। लेकिन भाजपा के मूल कैडर के नेता को अध्यक्ष बनाए जाने की स्थिति में विपक्ष पूरी ताकत के साथ चुनौती पेश करेगा।  लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव से पहले भाजपा के दिग्गज नेता और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एक्टिव हो गए हैं। संवाद और सबको साध करने चलने में माहिर में राजनाथ सिंह ने एनडीए गठबंधन को एकजुट रखने का जिम्मा संभाल लिया है। वे अपने आवास पर गठबंधन के नेताओं के नेताओं से मिल रहे हैं। हाल ही में राजनाथ के आवास पर हुई बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान, जेडीयू की ओर से ललन सिंह बैठक में मौजूद थे। बैठक में स्पीकर के लिए सांसदों के नाम पर चर्चा हुई और इसके लिए विपक्षी पार्टियों से भी समर्थन जुटाने की रणनीति पर चर्चा हुई।

'इंडिया' ने बनाया उपाध्यक्ष के लिए दबाव

हाल ही में राजनाथ सिंह के घर हुई बैठक में संसद सत्र के दौरान विपक्षी गठबंधन इंडिया से कैसे निपटा जाए, इसे लेकर चर्चा हुई। क्योंकि विपक्ष गठबंधन पिछले पांच साल से डिप्टी स्पीकर का पद खाली रहने को लेकर भाजपा पर आक्रामक है। संसद सत्र के दौरान इसे लेकर सरकार को घेरने की तैयारी में है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि राजनाथ सिंह पार्टी के ऐसे चेहरों में हैं, जिनकी बात विरोधी दल के नेता भी मानते हैं। उनके सभी दलों के नेताओं के साथ अच्छा तालमेल है। रक्षा मंत्री की मृदुभाषी, संवाद से समस्याएं सुलझाने वाले नेता की छवि है। कई अहम मौकों पर संसद में गतिरोध की स्थिति आने पर सरकार पहले भी राजनाथ को आगे कर चुकी है। ऐसे में लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव में राजनाथ सिंह की स्वीकार्यता और मान्य नेता का रोल अहम हो गया है।

दूसरी तरफ, विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' ने भी यह साफ कर दिया है कि अगर विपक्ष को लोकसभा उपाध्यक्ष का पद नहीं मिला, तो वे स्पीकर के लिए भी अपना उम्मीदवार उतारेंगे। 'इंडिया' के सूत्रों का कहना है कि इस बार विपक्ष लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद आसानी से भाजपा और सहयोगी दलों के खाते में नहीं जाने देना चाहता है। इसलिए इंडिया गठबंधन भाजपा के उम्मीदवार की घोषणा के अनुरूप अपनी रणनीति तय करेगा। विपक्ष पुरानी परंपरा का हवाला देकर उपाध्यक्ष का पद उसे देने के लिए भी दबाव बनाएगा। कांग्रेस नेता और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एनडीए के घटक दलों को भाजपा के पिछले दस साल का इतिहास याद दिलाते हुए कहा कि अगर भाजपा लोकसभा अध्यक्ष का पद अपने पास रखती है, तो उसके गठबंधन सहयोगी टीडीपी और जेडीयू को अपने सांसदों की खरीद फरोख्त के लिए तैयार रहना चाहिए। टीडीपी और जेडीयू को महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, गोवा, मणिपुर जैसे राज्यों में सरकारों को गिराने के भाजपा के षड्यंत्र को नहीं भूलना चाहिए। इनमें से कई राज्यों में तो स्पीकर की भूमिका के कारण ही सरकारें गिरीं और पार्टियां टूटी हैं।

टीडीपी का रुख अभी तक नहीं साफ

दरअसल, भाजपा के लिए पहली बार लोकसभा अध्यक्ष और लोकसभा उपाध्यक्ष का पद चुनौती बना हुआ है। भाजपा के लिए 16वीं और 17वीं लोकसभा की तरह जैसी स्थिति में नहीं है कि वे सीधे लोकसभा अध्यक्ष के नाम का एलान कर दे। भाजपा ने 2014 और 2019 के चुनाव में जहां अकेले पूर्ण बहुमत के लिए जरूरी 272 के जादुई आंकड़े से अधिक सीटें जीती थीं। इस बार पार्टी 240 सीटें ही जीत सकी है। बहुमत नहीं आने की वजह से भाजपा को इस बार लोकसभा अध्यक्ष चुनने के लिए सहयोगियों दलों पर निर्भर होना पड़ रहा है। भाजपा की सहयोगी टीडीपी और जेडीयू को विपक्षी पार्टियां भी स्पीकर पोस्ट अपने पास रखने के लिए कहते हुए नजर आ रही है। जेडीयू ने तो साफ कर दिया है कि भाजपा जिसे नामित करेगी, हम उसका समर्थन करेंगे लेकिन टीडीपी की ओर से इसे लेकर कोई बयान नहीं आया है।

टीडीपी के रुख को देखते हुए ऐसा नहीं लग रहा है कि वो भी जनता दल (यू) की तरह आसानी से मान जाएगी। टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम कोमारेड्डी ने मीडिया से बातचीत में स्पष्ट किया है कि स्पीकर का पद उसी को मिलेगा, जिसके नाम पर सर्वसम्मति होगी। एनडीए के सहयोगी दल जब एक साथ बैठेंगे, तो यह तय कर लेंगे कि स्पीकर पद के लिए हमारा उम्मीदवार कौन होगा। आम सहमति बनने के बाद ही उम्मीदवार उतारा जाएगा और टीडीपी सहित सभी सहयोगी उम्मीदवार का समर्थन करेंगे। भाजपा में लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए ओम बिरला पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की पसंद बताए जाते हैं, लेकिन एनडीए के घटक दलों के बीच उनके नाम पर सहमति बन पाएगी, इसके आसार कम ही दिख रहे हैं। टीडीपी के अड़ियल रुख को देखते हुए भाजपा आंध्र प्रदेश इकाई की अध्यक्ष डी पुरंदेश्वरी का नाम भी आगे बढ़ा सकती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पुरंदेश्वरी चंद्रबाबू नायडू की पत्नी नारा भुवनेश्वरी की बहन हैं।

राउत जुटे भाजपा का खेल बिगाड़ने में

शिवसेना (यूबीटी) ने भाजपा का खेल खराब करने के लिए मैदान संभाल लिया है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने कहा कि अगर एनडीए में शामिल टीडीपी लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार खड़ा करती है, तो विपक्षी गठबंधन 'इंडिया'  के सभी सहयोगी उसके लिए समर्थन सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे। राउत ने दावा किया कि लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव महत्वपूर्ण होगा। अगर भाजपा को स्पीकर पद मिलता है, तो वह टीडीपी, जेडीयू के साथ ही चिराग पासवान और जयंत चौधरी के दलों के ही टुकड़े कर देगी। राउत ने कहा, हमें अनुभव है कि भाजपा उन लोगों को धोखा देती है, जो उसका समर्थन करते हैं। मैंने सुना है कि टीडीपी अपना उम्मीदवार खड़ा करना चाहती है। अगर ऐसा होता है, तो विपक्षी गठबंधन के सहयोगी इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और यह सुनिश्चित करने की कोशिश करेंगे कि विपक्षी टीडीपी को समर्थन दें।

24 जून को शुरू होगा सत्र

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून को शुरू होगा और 3 जुलाई को समाप्त होगा। 9 दिवसीय विशेष सत्र के दौरान, लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव किया जाएगा और नए संसद सदस्य (सांसद) शपथ लेंगे। इस बीच, राज्यसभा का 264वां सत्र 27 जून से 3 जुलाई 2024 तक आयोजित किया जाएगा। 2014 के बाद यह पहला संसद सत्र है, जिसमें भाजपा कम ताकत के साथ सत्ता में लौटी है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 27 जून को दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी।

राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा संसद में अपने मंत्रिपरिषद का परिचय कराने की उम्मीद है। विपक्ष के पास लंबे समय के बाद 230 से अधिक सदस्यों की सबसे बड़ी ताकत है, और लोकसभा में 99 सांसदों वाली कांग्रेस पहले से शेयर बाजार घोटाले का आरोप लगाकर और एनईईटी परीक्षा में कथित अनियमितताओं को लेकर सरकार पर हमलावर है। इससे आगामी संसद सत्र के हंगामेदार होने की पूरी संभावना है।