स्व. प्रतिभा  श्रीवास्तव की पुस्तक शौर्य गाथाएँ कहानी संग्रह का लोकार्पण प्रीतमलाल दुआ सभागृह  में किया गया। इस अवसर पर कवि सत्यनारायण सत्तन ने कहा कि प्रतिभा  कभी मरती नहीं है। प्रतिभा ने राष्ट्रधर्म का निर्वाह करते हुए देश के माटी के प्रति नमन का भाव रखते हुए इस कृति शौर्य गाथा को रचा है।  अपनी कलम से वीरों का जो सुयश गान किया है वही अभिमान है कलम का। जो कलम कवि राष्ट्र का मान नहीं गाते वो राष्ट्रघाती  हैं।  साहित्यकार हरेराम वाजपेयी ने कहा कि इस कृति में प्रतीभाजी ने शूरवीरों का वर्णन लिख कर राष्ट्र ऋण से मुक्ति पाई है। यह कृति राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत होती है। चर्चाकार इन्दु पाराशर ने कहा कि राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत इस संग्रह की कहानियों का कैनवास  मार्मिक और बड़ा सारगर्भित है। संचालन मुकेश इन्दौरी ने किया। आभार दिव्यांश श्रीवास्तव ने माना।
        कार्यक्रम की शुरुआत ज्योति और विधि श्रीवास्तव द्वारा सरस्वती वंदना से की गई। अतिथि स्वागत सौमिक श्रीवास्तव, सुमेधा वर्मा, राजीव श्रीवास्तव, आशा श्रीवास्तव द्वारा किया गया। इस अवसर पर मितांशी और अवनी श्रीवास्तव ने राष्ट्र गीतों की प्रस्तुती देकर सबका मन मोह लिया।
        इस अवसर पर सूर्यकांत नागर, शशिकांत संकलेचा, सदाशिव कौतुक, प्रभु त्रिवेदी, प्रदीप नवीन, संतोष मोहंति, मुकेश तिवारी, डॉ. बूलाकार, विनीता चौहान, महेन्द्र सांघी, जितेन्द्र चौहान आदि कई साहित्यकार उपस्थित थे।