काव्य पाठ एवं विमर्श
भोपाल।राजधानी की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था प्रभात साहित्य परिषद द्वारा "समय के स्वर "के अंतर्गत काव्य पाठ एवं विमर्श का आयोजन हिंदी भवन के नरेश मेहता कक्ष में श्री महेश प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में, श्री राजेंद्र शर्मा "अक्षर "के मुख्य आतिथ्य में एवं श्री राम वल्लभ आचार्य के विशेष आतिथ्य में तथा रमेश नंद के संचालन में किया गया।
इस अवसर पर पिछली ग़ज़ल गोष्ठी में प्राप्त रचनाओं में से चुनी गई सर्वश्रेष्ठ रचना के लिए श्री सुरेश पटवा को शफक तनवीर सम्मान से अलंकृत किया गया।
सरस्वती वंदना एवं अतिथियों के स्वागत के उपरांत श्री प्रदीप कश्यप ने पढ़ा "बेखौफ हो परिंदे, परवाज कर रहे हैं, आकाश में कबूतर ,अब राज कर रहे हैं, बदनाम खूब करना, जो चाहता है सब में ,ये लोग क्यों उसे ही, हमराज कर रहे हैं"।। वहीं बिजी अशोक ने पढ़ा , देश की अर्थव्यवस्था लिखूं ,या आसमान छूती महंगाई लिखूं, भाईचारे की मिसाल, हिंदुस्तान लिखूं ,या धर्म के नाम पर, बुनते चक्रव्यूह लिखूं, बहुत मन करता है ,एक कविता लिखूं।। वही प्रोफेसर गोपेश बाजपेई ने पढ़ा , मां देहरी का दीप है, मां घर का उजियार, लो अंधियारा छठ गया, मां को लिया पुकार ,मां का कहना मान कर ,मां का लो आशीष , मां ही सच्ची मीत है, मां ही है जगदीश।।
श्री हीरालाल "पारस", ,"श्रीमती सुनीता शर्मा "सिद्धि"एवम श्रीमती कुसुम श्रीवास्तव ने अतिथियों का पुष्पहार से स्वागत किया।
कार्यक्रम के अन्त में डा अनिल शर्मा "मयंक " ने आभार व्यक्त किया।