भोपाल में काव्य पाठ 

भोपाल। चर्चित साहित्यिक संस्था प्रभात साहित्य परिषद द्वारा  रविवार को  हिन्दी भवन के नरेश मेहता कक्ष में  "समय के स्वर" के अन्तर्गत  काव्य पाठ का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार श्री राम किशोर" रवि" की अध्यक्षता,वरिष्ठ साहित्यकार श्री महेश सक्सेना के मुख्य आतिथ्य में ,तथा वरिष्ठ साहित्यकार एवम "साहित्य समय" पत्रिका के संपादक प्रो. श्री गोपेश वाजपेई के विशेष आतिथ्य में एवम श्री रमेश नन्द के संचालन में किया गया। 
रचनाओं की समीक्षा वरिष्ठ साहित्यकार श्री चरणजीत सिंह कुकरेजा जी एवम श्री प्रदीप कश्यप जी ने की। सरस्वती वंदना के उपरान्त "समय के स्वर" के अन्तर्गत तीन रचनाकारों ने अपनी  दस _  दस रचनाएं  पढ़कर सुनाई।
सर्वप्रथम सुरेश पटवा जी ने पढ़ा, * वेद ऋचाएं उपनिषद दर्शन पौराणिक आख्यान गूंजते मेरे देश में ।ब्रह्मा विष्णु महेश रामकृष्ण गौतम महावीर पुजते मेरे देश में।पश्चात * सुनीता शर्मा"सिद्धि " ने रचनाएं सुनाई,
 स्वतंत्र नहीं स्वच्छंद हो गए ,धरती सिसक रही है ।मेरे वीर शहीदों की आत्मा बिलख रही है।।
* भ्रष्टाचार के गलियारे में ,ईमानदारी के पांव जले। गांव गली शहर बस्ती में, बेईमानी के दांव चले।।

अनिल शर्मा "मयंक "ने रचनाएं पढ़ी! * इतिहास खुद को दोहराता है, दुर्योधन भी लौटकर आता है ।
*पीड़ा  से कराह उठता हूं ,जब भी कुल्हाड़ी लगती है ,मेरे सीने पर ,कई सवाल खड़े होते हैं, मेरे जीने पर।।
*बेटा तुझको भेजा था ,मैंने देश बचाने, और सीने पर गोली खाकर, तुझको नाम कमाने।।
*जिनके लब पर ,पहरे होते हैं।
  राज वहां पर ,गहरे होते हैं।।
कार्यक्रम के अन्त में हीरालाल पारस ने सभी का आभार व्यक्त किया।