मुक्तक संग्रह "मौन के स्वर मुक्तकों में" का लोकार्पण
भोपाल । मध्यप्रदेश लेखक संघ एवं दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय के संयुक्त तत्वावधान में आज चर्चित गीतकार ऋषि श्रंगारी के नवीन मुक्तक संग्रह "मौन के स्वर मुक्तकों में" का लोकार्पण किया गया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मनोज श्रीवास्तव ने कहा कि संस्कृत साहित्य में मुक्तकों की परंपरा सुदीर्घ काल से रही है । मुक्तक अपने आप में स्वतंत्र एवं परिपूर्ण श्लोक को कहा जाता था जिसका निर्वाह हिन्दी साहित्य भी दोहा, सोरठा, कवित्त आदि विभिन्न छंदों में किया जाता रहा । बाद में चार पंक्तियों के छंद को मुक्तक कहा जाने लगा । श्रंगारी के छंद इसी श्रेणी के हैं । इनमें जहाँ श्रंगार रस की प्रधानता है वहीं अन्य रस भी समाहित हैं । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. देवेन्द्र दीपक ने कहा कि श्रंगारी आस्तिक मन के कवि हैं इसलिये उनके मुक्तकों में मांसलता का अभाव है और उनकी शब्दावली सात्विक है । कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि नरेन्द्र दीपक ने कहा कि मुक्तक में कथ्य को सीमित शब्दों में व्यक्त करना होता है और श्रंगारी ने उसका भलीभाँति निर्वहन किया है ।
संग्रह की समीक्षा करते हुए डाॅ. साधना बलवटे ने कहा कि ऋषि श्रंगारी छंद परम्परा के पर्याय बन गये हैं । इनके अनेक मुक्तक विशेष प्रभाव छोड़ते हैं लेकिन यही प्रभाव उनके मधुर कंठ से सुनने में दस गुना बढ़ जाता है । इस अवसर पर ऋषि श्रंगारी ने अपने प्रिय मुक्तकों का सस्वर पाठ कर समां बाँध दिया । प्रारंभ में अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन एवं माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के पश्चात लेखक संघ के अध्यक्ष डाॅ. राम वल्लभ आचार्य ने स्वागत वक्तव्य दिया तथा अंत में संग्रहालय की प्रवर समिति के अध्यक्ष राम राव वामनकर ने आभार प्रदर्शित किया । संचालन अशोक निर्मल ने किया । इस अवसर पर बड़ी संख्या में साहित्यकार उपस्थित थे ।
-राजेन्द्र गट्टानी, प्रादेशिक मंत्री
मध्यप्रदेश लेखक संघ