इस दुनिया में करोड़ो लोग रहते हैं और हर इंसान एक दूसरे से अलग होता है। सबके चेहरे भी अलग होते हैं और आदतें भी अलग-अलग होती हैं। इसी के साथ हर इंसान की उंगलियों के निशान भी अलग होते हैं। इन निशान को फिंगरप्रिंट्स भी कहा जाता है। हर इंसान के फिंगरप्रिंट्स दूसरे इंसान के फिंगरप्रिंट्स से कभी मैच नहीं हो सकते हैं। हर इंसान के हाथ की स्किन दो लेयर की बनी होती है। पहली पर्त को एपिडर्मिस और दूसरी पर्त को डर्मिस कहा जाता है। जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे ये परतें भी एक साथ बढ़ती हैं। इन्हीं दोनों परतों से मिलकर हाथों के स्किन पर फिंगरप्रिंट बनते हैं। फिंगरप्रिंट इतने महत्वपूर्ण होते हैं कि इनका इस्तेमाल पासवर्ड तक बनाने में किया जाता है। यही कारण है कि महत्वपूर्ण दस्तावेजों को बनाने के लिए व्यक्ति के फिंगरप्रिंट की जरुरत पड़ती है।

हाथ जल जाए फिर भी फिंगर प्रिंट नहीं मिटते 
 

आजकल लोग अपने हर महत्वपूर्ण दस्तावेज को अपने फ्रिंगरप्रिंट से लॉक करके रखते हैं। स्कूल, कॉलेज, दफ्तर में भी हाजिरी के लिए फिंगरप्रिंट का ही इस्तेमाल होता है। इससे ये पता चलता है कि हाजिरी उसी व्यक्ति की लगी है जिसके ये फिंगरप्रिंट हैं। ये फिंगरप्रिंट इतने गहरे होते हैं कि अगर हमारे हाथ जल जाए या इनपर एसिड गिर जाए तब भी ये हमारे हाथों से नहीं मिटते हैं। अगर हमारे हाथो में किसी तरह का कोई घाव भी हो जाए तो फिंगरप्रिंट नहीं मिट सकते हैं। अगर हमारे हाथों में किसी तरह की समस्या आती है और फिंगरप्रिंट गायब हो जाते हैं। कुछ ही समय के बाद ये दोबारा वापस उसी जगह पर आ जाते हैं। 

ये काफी हैरत वाली बात है कि इतनी बड़ी दुनिया में किसी के भी फिंगरप्रिंट एक से नहीं हो सकते हैं। हर इंसान का अपना एक यूनिक फिंगरप्रिंट होता है और वो जीवन भर बना रहता है। इसीलिए ये किसी भी व्यक्ति के पहचान करने का सबसे सरल तरीका है, क्योंकि कोई अपना चेहरा तक बदलवा सकता है, लेकिन अपने फिंगरप्रिंट को नहीं बदल सकता। 

गर्भ से ही बनते हैं फिंगरप्रिंट 
 

जब इंसान का जन्म भी नहीं होता है तभी से फिंगरप्रिंट बनने लगते हैं। जी हां, मां के गर्भ में ही फिंगरप्रिंट बनने लगते हैं। इन निशानों के बनने के पीछे व्यक्ति के जीन्स और वातावरण जिम्मेदार होते हैं।

इंसान की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती है, ये प्रिंट भी बढ़ते हैं और बड़े हो जाते हैं। बचपन में मुलायम होते है और इंसान जैसे वयस्क होता है निशान भी सख्त हो जाते हैं। इंसान की मृत्यु तक फिंगरप्रिंट में कोई बदलाव नहीं होता है।