वॉशिंगटन । चीनी नुकसानदेह होती है, इस कारण कई लोग बिना चीनी वाली चीजों का इस्तेमाल करते हैं। खाने-पीने से जुड़ी चीजें बनाने वाली कई कंपनियां चीनी की जगह कई तरह के आर्टीफिशियल मीठे का इस्तेमाल करती हैं। इसमें सबसे आम तौर पर एस्पार्टेम का इस्तेमाल होता है। इसके मुताबिक यह कृत्रिम मिठास कैंसर जैसी बीमारी दे सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अगले महीने डब्ल्यूएचओ भी एस्पार्टेंम को आधिकारिक तौर पर कैंसर बढ़ाने वाला घोषित कर सकती है।
एस्पार्टेम को लेकर डब्ल्यूएचओ ने पिछले महीने ही चेतावनी जारी की थी। इस केमिकल का इस्तेमाल ज्यादातर कंपनियां अपने शुगर फ्री प्रोडक्ट में करती हैं। डाइट कोक और चूइंग गम में यह सबसे आम होती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की कैंसर रिसर्च विंग इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर इस जुलाई में संभवतः मनुष्यों के लिए कैंसरकारी के रूप में लिस्ट कर सकती है। अभी तक यह जानकारी सामने नहीं आई है कि इस प्रोडक्ट का कितना इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है।
खबर के मुताबिक अमेरिकी खाद्य और दवा प्रशासन (एफडीए) ने 1981 में इस मंजूरी दी थी। लेकिन फिर भी वह पांच बार इससे जुड़ी समीक्षा कर चुकी है। दुनिया के 90 देशों में इसका इस्तेमाल होता है, जिनमें भारत भी शामिल है। लेकिन हाल ही में डब्ल्यूएचओ ने दो बैठक बुलाई थीं, जिससे साफ संकेत था कि वह इससे जुड़ी वॉर्निंग दे सकती है। 
आईएआरसी पहले भी रात भर काम करने और रेड मीट खाने को संभवतः कैंसरकारी बताने के लिए आलोचना झेल चुका है। अंतर्राष्ट्रीय स्वीटनर एसोसिएशन ने कहा है कि इस तरह की समीक्षा से ग्राहक गुमराह हो सकते हैं और इसके लिए वह चिंतित हैं।