भव्य कलश यात्रा के साथ छावनी अनाज मंडी प्रांगण में वृंदावन के डॉ. मनोज मोहन शास्त्री के श्रीमुख से भागवत कथा का शुभारंभ

 छावनी अनाज मंडी परिसर में  प्रारंभ हुई  भागवत कथा की कलश यात्रा ने समूचे छावनी एवं शहर के मध्य-पूर्वी क्षेत्र को भागवतमय बना डाला। वृंदावन के भागवताचार्य डॉ. मनोज मोहन शास्त्री के श्रीमुख से मंडी प्रांगण में प्रारंभ हुए इस अनुष्ठान में व्यापारियों के साथ ही छावनी क्षेत्र के आम श्रद्धालु भी शामिल हुए। ओंकारेश्वर महादेव मंदिर से निकली कलश यात्रा में हजारों श्रद्धालु पूरे जोश-खरोश एवं उत्साह के साथ भजनों पर नाचते-गाते हुए शामिल हुए। जगह-जगह कलश यात्रा पर फूलों की वर्षा के दृश्य देखने को मिले। केशरिया परिधान में आई महिलाओं ने मस्तक पर मंगल कलश धारण किए, वहीं पुरुषों ने भी श्वेत परिधान में नाचते-गाते हुए 88 वर्षों के इतिहास में मंडी प्रांगण में पहली बार हो रही कथा के प्रति अपनी खुशियां व्यक्त की। डॉ. शास्त्री ने भागवत कथा में कहा कि श्राद्ध पक्ष में इस दिव्य अनुष्ठान के आयोजन से जीवन की दशा और दिशा में बदलाव अवश्य आएगा। पूर्वजों के आशीष हमें समृद्धि और सदभाव के रास्ते पर ले जाते हैं।

                इंदौर अनाज-तिलहन व्यापारी संघ के तत्वावधान में हो रहे इस अनुष्ठान में छावनी एवं आसपास की लगभग सभी कालोनियों के श्रद्धालु शामिल हुए। बैंडबाजों, भजन एवं गरबा मंडलियों सहित कलश यात्रा जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई, श्रद्धालुओं का सैलाब भी बढ़ता गया। महिला-पुरुषों ने नाचते-गाते हुए जगन्नाथ धर्मशाला से छावनी चौराहा और छावनी चौराहा से पुराने राज टाकीज के सामने से मंडी प्रांगण तक अपने जोश और उत्साह को लगातार बनाए रखा। मंडी परिसर में विशेष रूप से निर्मित भव्य पांडाल में डॉ. मनोज मोहन शास्त्री के पहुंचते ही भागवत और भगवान के जयघोष के उदघोष गूंज उठे। यहां इंदौर अनाज-तिहलन व्यापारी संघ की ओर से वैदिक मंत्रोच्चार के बीच अध्यक्ष संजय अग्रवाल, मंत्री वरुण मंगल, विजय लाला, मुख्य यजमान शारदादेवी राधेश्याम चूरीवाले, समाजसेवी गणेश गोयल, राजाबाबू अग्रवाल, अरुण अग्रवाल, सतीश गुप्ता आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया।

भागवतजी की आरती के बाद डॉ. शास्त्री  ने कहा कि इंदौर की इस भूमि से मेरा बहुत पुराना रिश्ता है। आज सुबह निकली कलश यात्रा ने मुझे अतीत की यादें ताजा कर दी, जब स्व. कुंजीलाल गोयल के सहयोग से जगन्नाथ धर्मशाला में द्वितीय भागवत का आयोजन किया था, जो अद्वितीय बन गया था। आज भी जिस उत्साह और उमंग के साथ आप लोगों ने इतनी भव्य और अनुशासित कलश यात्रा निकाली है, वह आपके व्यवहार और संस्कार के अनुकूल ही रही है। जो लोग पूछते हैं कि भागवत में क्या है तो उन्हें बताएं कि भागवत दो काम करती है – पहला यह कि गोविंद को उठाकर आपकी गोद में बैठा देगी और दूसरा यह कि आपको उठाकर गोविंद की गोद में बैठा देगी। दोनों ही स्थिति  में भला आपकी ही होने वाला है। हममें से कोई नहीं जानता कि हमारे जीवन का टर्निंग पाइंट कब, कैसे और कहां आएगा। समाज जितना भौतिकवाद की ओर दौड़ेगा, अध्यात्म उतना ही प्रखर होगा। हमारे जीवन में भी भागवत तभी उतरेगी, जब हम परीक्षित (टेस्टेड) बन जाएंगे। श्राद्ध पक्ष में इस कथा का इतना महत्व जरूर समझ लीजिए कि यह कथा आपके पित्तर भी सुनने आएंगे और इसकी अनुभूति भी आपको कहीं न कहीं स्वप्न में अथवा व्यवहार में जरूर होगी। पूर्वजों के आशीष में बहुत ताकत होती है। निश्चित ही वे आपके जीवन में ऐसा बदलाव लाएंगे जो दशा और दिशा बदल सकते हैं। उनके आशीष  हमें  समृद्धि और सदभाव के रास्ते पर आगे बढ़ाएंगे।

डॉ. शास्त्री ने कहा कि आज्ञा से अनुग्रह का रास्ता खुलता है। कल्प वृक्ष से कामना करेंगे तो पूर्ति होगी ही। कथा के श्रवण से विश्वास मजबूत होता है। शंकर और पार्वती विश्वास और श्रद्धा के प्रतीक हैं। भागवत संसार के भय से मुक्ति दिलाने की कथा का नाम है। आजकल लोग गुरू की बजाय गूगल पर ज्यादा विश्वास करने लगे हैं। संसार में कई तरह के लोग होते हैं। ऐसे लोग भी हैं, जो सामने से कुछ और भीतर से कुछ और होते हैं। दुश्मन को तो हम पहचान सकते हैं, लेकिन मित्र के रूप में छुपे हुए दुश्मन को पहचानना मुश्किल काम है।