जीवन दर्शन की अनंत गहराई है इसमें 

पुस्तक मन के जीते, जीत एक ऐसे सागर के समान है जिसमे विचार रुपी मोती बिखरे हुए हैं जो जीवन को सार्थकता के साथ जीने के लिए प्रेरित करते हैं. प्रत्येक रचना अपने आप में परिपूर्ण तथा एक सकारात्मक सन्देश के साथ प्रस्तुत होती प्रतीत होती है. जीवन के हर पहलु को, प्रत्येक पक्ष को इसमें समाहित किया गया है. जीवन दर्शन की एक अनंत गहराई परिलक्षित होती है. इसे पठन करते समय अद्भुत मानवीय विचारों का सृजन होता जाता है. ये विचार मन को सही और सात्विक जीवन जीने के लिए मजबूती के साथ कहते हैं. एक अच्छे, नेक और  सच्चे इंसान में परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाती है.

ज्यों-ज्यों इस पुस्तक के पृष्ठ पलटते जाते है त्यों-त्यों मन एक अनंत गहराई में उतरता चला जाता है. एक ऐसी गहराई जहां केवल और केवल सात्विकता का बोध है, मानवता का बोध है, रिश्तों को सहेजने और संवारने का प्रयास है साथ ही अनंत, असीम आनंद की अनुपम अनुभूति है. यह अँधेरे से दिव्य प्रकाश की ओर अग्रसर होते हुए आलोकिक यात्रा का अनुभव है. इसमें हर पल एक नए सवेरे के भांति मन को ताजगी और स्फूर्ति प्रदान करता है. सकारात्मक एवं सात्विक विचारों से ओत-प्रोत यह पुस्तक पठनीय तो है ही साथ में विचारणीय एवं अनुकरणीय भी है. प्रत्येक रचना पर अपने विचार प्रस्तुत करने की भावना बलवती हो जाती है जो कि इसके समीक्षात्मक परिमापों को परे कर देगी अतः कुछ चयनित रत्नों को ही समावेशित कर अपनी बात रखना उचित होगा.

पहली रचना ही जीवन के परम लक्ष्य सन्तोष की प्राप्ति पर केन्द्रित है. अत्यंत ही सरल शब्दों में सहजता के साथ इस तथ्य को रखा गया है कि कुछ भी कर लिया जाय, कुछ न कुछ तो फिर भी रह ही जाएगा. अतः जो भी मिल रहा है अथवा उपलब्ध है उसमे परम सन्तोष को प्राप्त कर आनंद का अनुभव किया जाए. संभवतः इसमें ही वह विशेष तत्व मिल जाए जिसकी हमें तलाश है.

अगली रचना में एक सकारात्मक चिंतन को समावेशित कर कहा गया है कि दिन की शुरुआत पूर्ण आनंद और उत्साह के साथ किया जाए. अपनी चौथी रचना में भी एक सकारात्मक विचार का उल्लेख है कि बीती बातों को बिसराकर जीवन में अपने कर्म के सहारे आगे बढ़ने से किसी भी प्रकार का प्रतिरोध सामने नहीं आ पायेगा तथा जीवन निर्बाध गति से व्यतीत होता जाएगा. पांचवी रचना में क्षमा के भाव को महत्ता दी गयी है. क्षमा वैचारिक समृद्धता का प्रतीक है जो रिश्तों की समस्त कड़वाहट को पिघला देता है तथा सम्बन्धों को माधुर्यता प्रदान करता है. अगली रचना में स्वयं की शक्ति को पहचानने की बात कही गयी है. मन की शक्ति समस्त प्रतिकूलताओं का सामना करते हुए अपनी राह बना लेती है. सातवीं रचना लक्ष्य निर्धारण को लेकर है. हमें अपना स्पष्ट लक्ष्य रख अपनी कर्मठता के साथ आगे बढ़ते रहना होगा. तभी लक्ष्य की प्राप्ति संभव है. इसी प्रकार दसवीं रचना में रिश्तों को सहेजने का सूत्र प्रतिपादित किया गया है. स्वयं पहल कर मन के कठोरता को पिघला कर कोमल वाणी और करूण दृष्टि से पहल करने से रिश्तों में मिठास पुनः कायम हो सकती है.

अगली रचना 11 वीं अपने बुजुर्गों के प्रति कर्तव्य परायणता को प्रतिस्थापित करती हुई सी प्रतीत होती है. 13वीं रचना भी रिश्तों को सहेजना सिखा देता है. प्रेम की असीम अनंत शक्ति का आभास कराती हुई रचना वास्तव में ह्रदय में अद्भुत अनुभूति देती है.

इसी प्रकार से समस्त रचनाओं में जीवन को समझने का, सकारात्मक तथ्यों एवं तत्वों को आत्मसात करने का उपाय बताया गया है. रिश्तों में मधुरता उत्पन्न करने का तथा मनुष्यता के साथ एक सार्थक जीवन जीने के तरीकों एवं शैली को अनूठे एवं सरलता सहजता के साथ प्रस्तुत किया गया है. जीवन का दर्शन भी इन रचनाओं में दृष्टिगत होता है साथ ही आध्यत्मिकता भी जगह-जगह बिखरे पड़े हैं. इसको आत्मसात करना सचरित्रता को प्राप्त करना है.

लेखक के पवित्र उदेश्य का अनुमान प्रारम्भ के कुछ रचनाओं को पठन करने से ही ज्ञात हो जाता है. उदेश्य स्पष्ट तथा साफ़ है. यह कृति पाठक को एक अच्छा, सच्चा तथा आदर्श मनुष्य में परिवर्तित होने की ओर प्रेरित करती है. प्रत्येक रचना में गहन तथा स्पष्ट सन्देश निहित है. वह है जीवन की सत्यता और आदर्श व्यावहारिकता को पूर्ण सरलता के साथ परिभाषित करना. एक सच्चे परम आनंद की अनुभूति से पाठक को अवगत कराना. लेखक को अपने इस पुनीत प्रयास में पूर्ण सफलता प्राप्त हुई है. जैसा कि इस पुस्तक में प्रारम्भ में ही कहा गया है कि प्रत्येक रचना अपने आप में परिपूर्ण है. कोई भी पृष्ठ को खोल कर किसी भी रचना को पढ़ा जा सकता है जो एक पूर्णता का बोध कराता है. इस पुस्तक की यही सबसे विशेष बात है. प्रत्येक रचना पूर्ण गहराई एवं सत्यता के साथ पाठक को जीवन का सर्वोच्च आनंदमय उदेश्य एवं मनुष्यता से परिचय करा देता है.

इस पुस्तक के बारे में अति विस्तार से असीमित लिखा जा सकता है. पुस्तक एक श्रेष्ठतम कृति है जिसे अपने व्यक्तिगत पुस्तकालय में रखना उपयोगी तथा लाभप्रद सिद्ध होगा.

इस पुस्तक में कुल 113 रचनाएं हैं. नोशन प्रेस द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक सुंदर आवरण के साथ प्रस्तुत है. मुखपृष्ठ ही सुंदर खिले हुए सूर्यमुखी के पुष्प को पूर्ण सौन्दर्य तथा दिव्यता के साथ दर्शाता है. लेखक ने प्रारंभ में ही अपने आभार के कथन में अपने माता-पिता, परिवार के सदस्यों, पत्नी, मित्रों तथा उन तमाम लोगों को समावेशित कर कृतज्ञता प्रकट की है जिनसे इस कृति को सृजन करने की प्रेरणा प्राप्त हुई. अंतिम पृष्ठ में भी अंत में... के अंतर्गत सहज सरल तथा आनंदमय जीवन जीने के गूढ़ तत्वों को दिव्यता के साथ प्रस्तुत करते हुए अपनी बात की इतिश्री होती है. सम्पूर्ण पुस्तक को पढ़ने के बाद एक अलग ही आनंद की अनुभूति होती है तथा  परम सन्तोष की प्राप्ति होती है. जीवन के प्रति एक अलग ही सकारात्मक दृष्टिकोण की उत्पत्ति होती है. रचनाओं का मर्म पाठक के ह्रदय स्थल में सहजता से उतर स्वयं को स्थापित कर लेता है. साथ ही कृतिकार के प्रति आदर तथा कृतज्ञता का भाव स्वतः ही उत्पन्न हो उठता है.

लेखक श्री चन्द्र कान्त शरण को ऐसी सुंदर, ज्ञानवर्धक तथा प्रेरणादायी कृति की रचना हेतु हार्दिक बधाई. आगे भविष्य में भी इसी प्रकार के सकारात्मक विचारों से परिपूरित सृजन कर साहित्य को समृद्ध करते रहें यही अंतर्मन से शुभकामनाएँ. 

-सन्तोष मोहंती “दीप”

 94259 57064  

 

पुस्तक - मन के जीते , जीत 

लेखक - चन्द्र कान्त शरण 

मूल्य -   170  रु.

प्रकाशक - नोशन प्रेस.कॉम चैन्नई 

संपर्क - 9179261962