नई दिल्ली । एआईएडीएमके पार्टी में नेतृत्व विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने फैसले से विराम लगा दिया। शीर्ष अदालत ने मद्रास हाई कोर्ट की खंडपीठ के उस फैसले की पुष्टि की, जिसमें एडप्पादी के पलानीस्वामी को एआईएडीएमके पार्टी के एकल नेता के रूप में बहाल किया गया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ओ पन्नीरसेल्वम की वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के फैसले को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ईपीएस अन्ना द्रमुक पार्टी के महासचिव बने रहेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने उस अंडरटेकिंग को रिकॉर्ड पर लिया था, जिसमें ईके पलानीस्वामी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश वकील सी आर्यमा सुंदरम ने कहा था कि शीर्ष अदालत के मामले में सुनवाई करने तक एआईएडीएमके जनरल सेकेट्री का चुनाव नहीं होगा। पनीरसेल्वम ने मद्रास हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा पारित 2 सितंबर 2022 के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसने एआईएडीएमके नेतृत्व के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने के लिए एकल पीठ के आदेश को उलट दिया था, क्योंकि अदालत ने यह आदेश अंतरिम जनरल सेक्रेट्री के रूप में एडप्पादी पलानीस्वामी के चुनाव से पहले दिया था।
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री और एआईएडीएमके सुप्रीमो जे जयललिता के अचानक निधन के बाद पार्टी पर कब्जे को लेकर विवाद शुरू हुआ था। ओ पनीरसेल्वम और ई पलानीस्वामी के साथ-साथ जे जयललिता की सहयोगी रहीं शशिकला भी इस विवाद का हिस्सा रहीं। हालांकि, बाद में उन्होंने पार्टी पर अपना दावा छोड़ दिया और विवाद से अलग हो गईं। अन्ना द्रमुक पार्टी दो धड़ों में बंट गई। एक धड़ा पार्टी के दिग्गज नेता ई पलानीस्वामी यानी ईपीएस के साथ आ गया और दूसरा ओ पनीरसेल्वम यानी ओपीएस के साथ। पार्टी को एकजुट रखने के लिए एक फार्मूला बना, इसके तहत पलानीस्वामी को जॉइंट को-ऑर्डिनेटर और पनीरसेल्वम को-ऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन ओ पलानीस्वामी का गुट पार्टी पर पूर्ण अधिकार चाहता था। पिछले साल 14 जून को जिला सचिवों की मीटिंग के बाद से पार्टी में सिंगल लीडरशिप की मांग तेज हो गई। दोनों गुटों ने इसे सुलझाने के लिए कई बार बातचीत की, लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके।
ओ पनीरसेल्वम ने ई पलानीस्वामी को एक पत्र लिखकर पार्टी की स्थिति का हवाला देते हुए जनरल कमेटी की बैठक रद्द करने को कहा। हालांकि, पलानीस्वामी ने ओपीएस के सुझाव को नहीं माना। तब ओ. पनीरसेल्वम गुट ने जनरल कमेटी के सदस्यों के 23 प्रस्ताव पिछले महीने खारिज कर दिए थे। पलानीस्वामी गुट सिंगल लीडरशिप के मुद्दे पर 23 जून 2022 की बैठक में एक प्रस्ताव पारित करने वाला था। पनीरसेल्वम ने इसका विरोध किया था और कहा कि पार्टी संविधान के अनुसार उनके हस्ताक्षर के बिना एकल नेतृत्व पर प्रस्ताव पास नहीं हो सकता। ओ पनीरसेल्वम की तुलना में ई पलानीस्वामी को अन्ना द्रमुक के विधायकों और जिला सचिवों का बड़ी संख्या में समर्थन प्राप्त था। उनके गुट में करीब 75 जिला सचिव, 63 विधायक और 2190 जनरल काउंसिल मेम्बर्स शामिल थे। बाद में ओ पनीरसेल्वम के कुछ वफादार भी ई पलानीस्वामी से मिल गए। अब सुप्रीम कोर्ट ने भी अन्ना द्रमुक पार्टी के नेतृत्वकर्ता के रूप में ईके पलानीस्वामी के नाम पर मुहर लगा दी है।