भोपाल | हिंदी में मौलिक नाटकों का अभाव है ,इस अभाव की पूर्ति में 'रिश्तों का रंगमंच ' नाट्य -कृति एक महत्वपूर्ण कदम है ,इन नाटकों में वर्तमान समय की विडम्बनाओं विद्रूपताओं विसंगतियों पर न सिर्फ प्रहार किए हैं बल्कि सकारात्मक मार्ग भी यह नाटक सुझाते हैं ,यह कथन है वरिष्ठ कथाकार मुकेश वर्मा के जो पण्डित रामानन्द तिवारी स्मृति सेवा समिति द्वारा भोजपुर क्लब सभागार में आयोजित सुमन ओबेरॉय की सद्य प्रकाशित नाट्य-कृति के लोकार्पण अवसर पर कार्यक्रम।की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे |

इस अवसर पर कृति लेखिका सुमन ओबेरॉय ने इन नाटकों की सृजन प्रक्रिया पर अपनी बात रखते हुए 'विष और अमृत' नाटक के एक महत्वपूर्ण अंश का वाचन किया | इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार एवम पत्रकार डॉ सुधीर सक्सेना ने इन नाटकों को सामाजिक सरोकारों से जुड़े प्रभावी और सकारात्मक नाटक बताते हुए इनकी भाषा और शिल्प को महत्वपूर्ण बताया | विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डॉ स्वाति तिवारी ने इन नाटकों को आम आदमी की ज़िंदगी से जुड़े महत्वपूर्ण नाटक बताया | चर्चित कवि बलराम गुमाश्ता ने इस अवसर पर कहा कि सँग्रह के नाटक हमारे समाज के विद्रूप चेहरे को बेनकाब करते हुए ,हमारे सांस्कृतिक मूल्यों।में होने वाले क्षरण को रोकने का महत्वपूर्ण कार्य करते हैं | 

कार्यक्रम।का सफल संचालन साहित्यकार घनश्याम मैथिल 'अमृत' ने किया ,इस अवसर पर घनश्याम सक्सेना, पलाश सुरजन,डॉ जवाहर कर्नावट, जया आर्य, नीना सिंह सोलंकी ,गोकुल सोनी, सुरेश पटवा,मुज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी ,विपिन बिहारी वाजपेयी ,जया आर्य, राजुरकर राज ,मधुलिका सक्सेना ,शेफालिका श्रीवास्तव ,सुनील दुबे ,मृदुल त्यागी ,अशोक बुलानी सहित अनेक साहित्यकार एवम नाट्य प्रेमी उपस्थित थे |

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