प्राचीन हंसदास मठ पर तर्पण एवं पितृ मोक्षदायी भागवत, धूमधाम से मना कृष्ण जन्मोत्सव 

इंदौर, 10 अक्टूबर।  संसार में धनवान और बलवान तो बहुत हैं, लेकिन पुण्यवान कम है। तर्पण अनुष्ठान हमारी संस्कृति का ऐसा उजला पक्ष है जो हमें सदकर्मों की ओर प्रवृत्त कर पुण्यवान बनाता है। माता-पिता और गुरू के कर्ज से हम कभी मुक्त नहीं हो सकते, लेकिन श्राद्ध पक्ष  में किए गए तर्पण से हमारे कर्ज की रकम बहुत हद तक कम हो सकती है। यह वह प्रक्रिया है, जो हमारी नई पीढ़ी को भी संस्कारवान बनाने की ऊर्जा और प्रेरणा देती है।
ये प्रेरक विचार हैं आचार्य पं. पवन तिवारी के, जो उन्होने एयरपोर्ट रोड, हंसदास मठ पर श्रद्धा सुमन सेवा समिति के तत्वावधान में चल रहे पितृ मोक्षदायी भागवत एवं तर्पण अनुष्ठान में व्यक्त किए। महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज, परशुराम सेना के पं. पवनदास महाराज के विशेष आतिथ्य में सुबह तर्पण अनुष्ठान में 500 से अधिक साधकों ने भाग लिया। भगवान हरि विष्णु का पूजन नरेंद्र वाधवानी, शेलेष  त्रिवेदी, डा चेतन सेठिया, ओमप्रकाश फरक्या, मोहनलाल सोनी, हरि अग्रवाल, राजेंद्र गर्ग, जगमोहन वर्मा, आदि ने किया।
         दोपहर में पितृ मोक्षदायी भागवत कथा में वरुण शर्मा, गीता देवी शर्मा, कृष्ण गोपाल शर्मा तथा अन्य परिजनों ने व्यासपीठ पूजन किया। समिति के संस्थापक मोहनलाल सोनी, हरि अग्रवाल एवं राजेन्द्र गर्ग ने बताया कि  कथा प्रतिदिन दोपहर 2 से 5 बजे तक होगी तथा तर्पण पूर्ववत  सुबह 8 से 10 बजे तक होगा।
पितृ मोक्षदायी भागवत में हुआ कृष्ण जन्म – आज दोपहर में पितृ मोक्षदायी भागवत में भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। उत्सव के लिए कथा स्थल को गुब्बारों और फूलों से तथा माखन-मिश्री, पंचमेवा की मटकियों से सजाया गया था। भगवान का जन्म होते ही बाजे रे बाजे रे बधाई... और नंद के घर आनंद भयो... जय कन्हैयालाल की... जैसे भजनों पर सभागृह थिरक उठा।   कृष्ण जन्म के पूर्व राम जन्म उत्सव भी मनाया गया।  पं. तिवारी ने इस अवसर पर कहा कि जब हमारी बुद्धि में श्रीकृष्ण आ जाएंगे तो सारे बंधन भी छूट जाएंगे। वसुदेव ने जैसे ही नन्हें श्रीकृष्ण को अपने शीश पर धारण किया, उनके सारे बंधन छूट गए।